सर्द हवाओं ने बढाई ठिठुरन, जनजीवन प्रभावित
जासं हजारीबाग लगातार तापमान में दर्ज की जा रही गिरावट अब आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रही है।
जासं, हजारीबाग : लगातार तापमान में दर्ज की जा रही गिरावट अब आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। उपर से दिन रात चल रही सर्द हवाओं ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। कड़ाके की पड़ रही ठंड से जनजीवन प्रभावित होता जा रहा है। जिले में न्यूनतम तापमान 6 डिग्री तक दर्ज किया जा चुका है। साथ ही इसमें और गिरावट आने की संभावना है। तापमान में गिरावट का आलम यह है कि जिले के चौपारण प्रखंड में तो खेत में जमा पानी भी बर्फ में तब्दील होने लगा है। ठंड को लेकर एक ओर जिले भर में कंबल का वितरण तो किया जा रहा है मगर दूसरी ओर चौक चौराहों में अलाव की व्यवस्था से प्रशासन अब तक अंजान है। कहीं कहीं कुछ लोग अपने स्तर से इसकी व्यवस्था अवश्य कर रहे हैं। ठंड को लेकर शाम होते ही बाजार से लोग अपने अपने घर निकलने लगते हैं। लोग अति आवश्यक कार्यों से ही घर से निकल रहे हैं। कनकनी का सबसे बुरा असर बुजुर्गो और बच्चों पर देखने को मिल रहा है। कई बुजुर्ग दिन भर आग ताप पर एवं कंबल में लिपटे देखे गए हैं। वही छोटे बच्चे के किलकारी के अभाव में गांव की गलियां और कस्बे वीरान होने लगे हैं।
खेती किसानी छोड़ घर में दुबकने को मजबूर हुए किसान :
इचाक (हजारीबाग) : पिछले तीन दिनों से सर्द पछुआ हवा के कारण ठिठुरन काफी बढ़ गई है। किसान और मजदूर तबके के लोग खेती किसानी और रोजगार को छोड़कर घरों में दुबके रहने को विवश है। किसान धान की दौनी एवं रबी फसलों के सिचाई को लेकर खलिहान खेतों में जाने से बचते यहां देखे गए हैं। इस बढ़ती कनकनी में भी पंचायत प्रतिनिधियों और प्रखंड प्रशासन द्वारा अलाव की व्यवस्था नहीं होने से लोगों की परेशानी और बढ़ गई है। ग्रामीणों ने बताया कि बिजली की कटौती और अलाव की व्यवस्था नहीं होने से 4 बजते ही लोग घरों में दुबकने को विवश हो जाते हैं। ग्रामीणों में चोवा महतो, मगन महतो, जुगल रविदास, भिखारी मिस्त्री, गफूर मियां, भागीरथी प्रजापति, लोचन तुरी, रामधन हासदा, हुसैनी मियां, चॉपा मांझी, लील मुन्नी देवी, मंगला बिरहोर और लक्ष्मी तमोली ने प्रशासन से जगह जगह पर अलाव के व्यवस्था के की मांग किया है।
बर्फ में बदला खेत में जमा पानी, कृषि कार्य हो रहा प्रभावित :
चौपारण (हजारीबाग) : क्षेत्र में भीषण ठंड का प्रकोप है। आलम यह है कि ठंड के कारण रोजमर्रा के कार्य भी प्रभावित होने लगे हैं। शाम पांच से सुबह दस तक ठंड का सर्वाधिक प्रभाव रहता है। पारा लुढक कर पांच से नीचे गिर गया है। रात की स्थिति तो और भी बुरी रहती है। शु्क्रवार रात्रि दैहर में खेत में जमा पानी का उपरी सतह पूरी तरह जम गया। दर असल किसान गेहुं पटवन के लिए जमे पानी को देखा तो वह पूरी तरह बर्फ का रुप ले चुका था। ठंड से गरीबों का जीना मुहाल हो गया है। उनी कपड़े की कमी से जंगल पठार किनारे निवास करने वाले गरीबों को विषम परिस्थिति का सामना करना पड रहा है। वहीं ठंड के बढ़ते प्रभाव से राहगीरों को बचाने के लिए प्रशासन से अलाव जलाने की मांग की जा रही है।