रास नहीं आई सरकार की शराब बेचने की नीति, 22 ने छोड़ी दुकान
विकास कुमार हजारीबाग एक वर्ष से भी कम समय में राज्य सरकार की शराब बेचने की नीति फेल
विकास कुमार, हजारीबाग : एक वर्ष से भी कम समय में राज्य सरकार की शराब बेचने की नीति फेल होती नजर आ रही है। हाल यह है कि कहीं सीमा क्षेत्र में शराब दुकान संचालक तस्करों का शिकार हो गए तो शहर के अंदर भी संचालकों को सरकार की नीति रास नहीं आई। स्थिति यह है कि भारी राशि लगाकर दुकान प्राप्त करने वाले जिले के 77 दुकान संचालकों में से 22 दुकान संचालकों ने दुकान छोड़ने के लिए आवेदन सौंप दिया है। उत्पाद विभाग ने इनके आवेदन पर मुहर भी लगा दी है। 22 दुकानों में से सबसे अधिक दुकान जीटी रोड नेशनल हाइवे पर पड़ने वाले बरही अंचल क्षेत्र के हैं। बताया जाता है कि यहां के दुकान संचालक शराब तस्करों से परेशान थे।
जानकारी के मुताबिक बिहार से सटे होने की वजह से शराब तस्कर यहां सक्रिय थे। नकली शराब की क्षेत्र में इतनी पकड़ हो गई कि सरकारी शराब दुकानों की बिक्री के लाले पड़ गए। बरही के एक दुकान संचालक ने बताया कि बिक्री नही होने की वजह से कई-कई दिनों तक दुकान भी बंद रखनी पड़ी। वही दूसरी और हर माह सरकार को पैसा देना पड़ रहा था। टार्गेट पूरा नहीं होने पर देना था दोगुना फाइन सरकार की नीति तहत हर माह दुकानों का राजस्व फिक्स था। शराब बिक्री हो न हो उन्हें डिपो से माल उठाकर राजस्व का भुगतान करना था। यह व्यवस्था केवल अंग्रेजी शराब के साथ नही बल्कि देसी शराब दुकानों में भी लागू थी। इसका सबसे अधिक मार सरकारी दुकानदारों को पड़ा। यहां तक कि राजस्व नही चुकाने पर दुकान संचालकों को जुर्माना भी देना पड़ रहा था।
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बरही में एक करोड़ व शहरी क्षेत्र में दो करोड़ राजस्व दे रहे थे दुकान बरही के अलावा शहरी क्षेत्र के दो दुकान रामनगर और झंडा चौक से सालाना दो करोड़ 28 लाख और बरही के दुकानों से एक-एक करोड़ से अधिक राजस्व उत्पाद विभाग को प्राप्त हो रहा था। लेकिन, अधिक राशि फिक्स होने की वजह से इसका खामियाजा दुकान संचालकों को भुगतना पड़ा। इस वजह से 22 दुकान संचालकों ने दुकान सरेंडर करने का निर्णय लिया।
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यहां सरेंडर हुए दुकान
करियातपुर इचाक, बनासो, उरीमारी, बलसगरा, रामपुर, रोमी, सूर्यपूरा, रसोइया धमना, सिघरावां, बेडोकला, पंचफेडी, कुम्हारटोली, कुंडीलबागी, इचाक बाजार, बसरिया, पदमा, रामनगर, झंडा चौक, इचाक बाजार, केरेडारी और पदमा
------------------------------------- 22 दुकानें सरेंडर हुई हैं। संचालकों ने आवेदन दिया है। इन सभी दुकानों को पुन: लॉटरी के माध्यम से अन्य लोगों को दिया जाएगा- अरुण कुमार मिश्रा, सहायक आयुक्त उत्पाद