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जो मांगें ठाकुर अपने ते सोई-सोई देवे.

गुरदीप राज गुमला जो मांगें ठाकुर अपने ते सोई-सोई देवे.। सतगुरु नानक प्रगटिया मिटी धुंध

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 10:24 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 10:24 PM (IST)
जो मांगें ठाकुर अपने ते सोई-सोई देवे.

गुरदीप राज, गुमला : जो मांगें ठाकुर अपने ते सोई-सोई देवे.। सतगुरु नानक प्रगटिया मिटी धुंध जग चानण होआ.। आदि गुरवाणी कीर्तन से रविवार तड़के गुमला की सड़कों पर भक्तिमय माहौल बन गया। सुबह-सुबह गुरवाणी कीर्तन सुनकर राहगीरों के कदम भी ठहर गए और वे भी बच्चों, महिलाओं व युवाओं के कीर्तनी जत्थे में शामिल होने से अपने आप को नहीं रोक सके। कीर्तन गायन करते गुरुद्वारा पालकोट रोड से निकलकर मेनरोड होते हुए प्रभातफेरी जशपुर रोड स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा पहुंची। रांची से आए ग्रंथी बक्शीश सिंह ने अरदास की। इसके उपरांत संगत के बीच चाय, नाश्ता की सेवा की गई। कोरोना संक्रमण के कारण सादगी के साथ एक दिवसीय प्रभात फेरी का आयोजन गुरु गोविद सिंह फाउंडेशन गुमला की अगुआई में किया गया। प्रभात फेरी में गुरुद्वारा जशपुर रोड से जगजीत सिंह खनूजा, रविन्द्र कौर, पालकोट रोड गुरुद्वारा के प्रधान महेंद्र सिंह, सचिव रंजीत सिंह, हरजीत सिंह, परमजीत सिंह, गुरमीत सिंह, जसवंत सिंह, दिलदार सिंह, हरमीत सिंह, हरप्रीत सिंह, गुरविदर सिंह, अमरजीत सिंह, राजिद्र कौर, कंवलजीत कौर, चंचल कौर, करनजीत कौर, इंदु कौर, इंद्रजीत कौर,संटी, बंटी, छोटू, रज्जी आदि शामिल हुए।

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तड़के शुरू होता कीर्तन

सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी के प्रकाश देहाड़ा से करीब पांच दिनों पहले से ही गुमला की सिख संगत प्रभात फेरी निकालती है। इसमें सिख व गैर सिख दोनों ही शामिल होते हैं। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के देखते हुए सिर्फ रविवार को ही प्रभात फेरी निकाली गई। संगत तड़के गुरुद्वारा पहुंचती है और गुरुद्वारा में अरदास करने के बाद तड़के स्थानीय क्षेत्र में गुरवाणी कीर्तन करते हुए प्रभातफेरी में शामिल जत्था घूमने लगता है। प्रभात फेरी की समाप्ति गुरुद्वारा पहुंच कर होती है। इस दौरान ढोल व अन्य वाद्य यंत्र से जत्थे लैस होते हैं।

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बुलावे पर प्रभात फेरी जाती है संगत के घर

सिख समुदाय के लोगों की मन्नत पूरी होने और अपनी खुशी से प्रभात फेरी को अपने घर आमंत्रित करते हैं। इसके लिए गुरुद्वारा में पूर्व से सूचना देनी पड़ती है। तब प्रभातफेरी में शामिल जत्थे के सदस्य कीर्तन करते हुए बुलाने वाले परिवार के घर जाते हैं और उनके घर के बाहर खड़े होकर गुरवाणी कीर्तन व शबद पढ़ते हैं। इस दौरान ढोल व अन्य वाद्य यंत्र बजाते हैं जिससे संगत झूम उठती है। फिर प्रभातफेरी में शामिल संगत को खुशी से नाश्ता कराया जाता है। -------- कोरोना संक्रमण को देखते हुए गुरुनानक देव जी के प्रकाश देहाड़ा के मौके पर सादगी से एक दिन के लिए प्रभात फेरी निकाली गई।

- महेंद्र सिंह प्रधान पालकोट रोड गुरुद्वारा

प्रभातफेरी के लिए गुमला की संगत तड़के उठकर गुरुद्वारा पहुंचती है। इसमें बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं सभी शामिल होते हैं।

- जगजीत सिंह खनूजा प्रधान जशपुर रोड गुरुद्वारा प्रभात फेरी में शामिल होकर कीर्तन गायन करने लिए तड़के लोग स्नान कर तैयार हो जाते हैं और क्षेत्र का भ्रमण करते हैं। इससे शांति भी मिलती है।

- जगजीत सिंह संगत


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