मुठभेड़ की हो जांच, सैनिक का बेटा नहीं सकता उग्रवादी
जागरण संवाददाता गुमला पीएलएफआइ उग्रवादियों से मुठभेड़ में घायल युवक विशाल का इन दिनों
जागरण संवाददाता, गुमला :
पीएलएफआइ उग्रवादियों से मुठभेड़ में घायल युवक विशाल का इन दिनों गुमला सदर अस्पताल में इलाज चल रहा है। लगभग तीन माह तक उसका इलाज रिम्स में चला, उसके पैर में लोहे का रड लगाया गया उसके बाद रिम्स से उसे गुमला जेल भेज दिया गया। जहां समुचित इलाज के अभाव में उसका जख्म गहरा हो गया। उसके बाद सदर अस्पताल में उसे इलाज के लिए भर्ती कराया गया। दो दिन पहले चिकित्सकों ने उसे रिम्स रेफर कर दिया। अब जेल प्रशासन न्यायालय के आदेश की प्रतीक्षा कर रही है। इधर विशाल के परिजनों ने राज्य सरकार और पुलिस के आलाधिकारियों से सरकारी खर्च पर उसका इलाज कराने की मांग की है। साथ ही बेटे को निर्दोष बताते हुए मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि एक देशभक्त सैनिक का बेटा उग्रवादी नहीं हो सकता। पुलिस से मुठभेड़ के दौरान उसके दोनों पैरों में गोली लगी थी। हिरासत में लिए गए घायल का इलाज सरकार कराती है, लेकिन उन्हें बेटे का पैर बचाने के लिए अपना पैसा खर्च करना पड़ा। सैनिक का बेटा उग्रवादी नहीं हो सकता
घायल विशाल की मां आशा सिन्हा और बहन स्वीटी कुमारी का कहना है कि विशाल के पिता सुरेंद्र कुमार सिन्हा सेना के जवान थे, 2004 में उनकी मौत हुई। विशाल गुजरात के सूरत में काम करता था, लाकडाउन के कारण धर आया था। प्रशासन ने उसे 14 दिन क्वारंटाइन किया था। उसका पूर्व से कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। नाथपुर गांव के पीएलएफआइ के एरिया कमांडर परमेश्वर गोप के साथ वह पढ़ा था। उसने ही विशाल को मिलने के लिए बुलाया था। दोस्ती के कारण वह मिलने गया लेकिन कुछ देर बाद पुलिस पहुंची, परमेश्वर और उसके साथी भाग गए लेकिन विशाल अपने को निर्दोष मान वहीं खड़ा रहा। इसी बीच पुलिस ने गोली चला दी और वह घायल हो गया।