नाबालिग से विवाह के तीस घंटे बाद प्रशासन नहीं कर सका निर्णय
अरुण गिरी बिशुनपुर गुमला नाबालिग बच्ची के विवाह के मामले में प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी जहा
अरुण गिरी, बिशुनपुर गुमला : नाबालिग बच्ची के विवाह के मामले में प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी जहां कोई भी निर्णय लेने की स्थिति में नहीं हैं वहीं उपायुक्त शिशिर कुमार सिन्हा को अनुमंडल पदाधिकारी के जांच रिपोर्ट का इंतजार है। इस कारण से वर वधू पक्ष को बिशुनपुर थाना परिसर में दूसरे दिन शनिवार को भी ठहरा कर रखा गया है। प्रशासन 30 घंटे में भी यह निर्णय नहीं ले सका कि बच्ची की विवाह को मान्यता दी जाए या नहीं। बीडीओ और थाना प्रभारी कि कर्तव्य विमूढ़ बने हुए हैं। निर्णय लेने के बारे में जिला स्तरीय पदाधिकारियों के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। जबकि कानून कहता है कि बाल विवाह मान्य नहीं है। बाल विवाह करना अपराध है। बाल विवाह करने वाले और कराने वाले सभी कानून के नजर में दोषी हैं। जितनी मुंह उतनी बोली कुछ लोगों का कहना है कि बच्ची का सिदूर दान हो चुका है। अब बच्ची के भविष्य का सवाल उठता है। सिदूर दान के कारण बच्ची से कोई दूसरी शादी करने के लिए तैयार नहीं होगा। इस शादी पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। जबकि इसी जिला में कई ऐसे ²ष्टांत हैं, जिनका हवाला देकर बच्ची को अपने उम्र से दोगुना पति से बचाने का काम किया जा सकता है। पुलिस अनुसंधान में यह बात आयी है कि जिस नाबालिग की शादी कराई जा रही थी वह बच्ची राजकीय मध्य विद्यालय बनारी में पांचवी की छात्रा है। विद्यालय के नामांकन पंजी के अनुसार उस बच्ची का उम्र 12 वर्ष है। जबकि उससे शादी करने के लिए आए मुजफ्फपुर के रमना मुहल्ला के युवक अनुज कुमार श्रीवास्तव की उम्र 28 साल है। इस तरह अनुज बच्ची से उम्र में दोगुना से भी अधिक है। थाना प्रभारी मोहन कुमार की बात माने तो बच्ची को संरक्षण दिया जाना चाहिए। अनुसंधान में यह बात उभर कर सामने आया है कि शादी करने आए युवक अनुज की शादी इसी साल जनवरी माह में उसी के समाज की एक लड़की से हुई थी लेकिन किसी कारण से शादी के बाद उसकी पत्नी उसे छोड़कर चली गई। पत्नी के जाने के बाद वह डिप्रेशन का शिकार हो गया और उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहने लगी। उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ते देख परिवार वालों ने किसी भी लड़की से उसकी शादी कराने का जो फैसला लिया वह न तो सामाजिक स्तर से मान्य है और न ही कानूनी स्तर से उचित है। महिला दलाल से हुई थी बात बिशुनपुर की जतनू महली ने वर पक्ष को अंधेरे में रखने का काम किया। उस महिला ने अनुज के परिवार वालों को बताया कि लड़की नेतरहाट विद्यालय में पढ़ी हुई है। महिला की बात पर विश्वास कर परिवार वालों ने लड़की से शादी करने का मन बनाया। अधिकारियों में हुई बातचीत इस मामले की जानकारी मिलने पर गुमला के एसडीओ रवि आनंद भी बिशुनपुर थाना पहुंचे। एसडीओ ने बिशुनपुर के बीडीओ छंदा भट्टाचार्य और थाना प्रभारी मोहन कुमार से घटना क्रम के बारे में विस्तार से जानकारी ली। एसडीओ ने बताया कि पूरे मामले की जानकारी उपायुक्त को दी जाएगी। उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। जिला स्तर के अधिकारी कानूनी बिदुओं पर विचार कर रहे हैं। अधिकारियों के लिए निर्णय लेना थोड़ा कठिन लग रहा है। गुमला के एसडीपीओ और पुलिस निरीक्षक भी शनिवार की रात में बिशुनपुर पहुंचे थे। कानूनी पहलुओं पर विचार किया गया था। उपायुक्त के निर्देश लेने की बात कही गई थी। क्या कहते हैं उपायुक्त बाल विवाह कानून मान्य नहीं है। पूरी प्रकरण की जांच के लिए अनुमंडल पदाधिकारी के जिम्मा दिया गया है। मुझे अनुमंडल पदाधिकारी का रिपोर्ट मिलने का इंतजार है। शिशिर कुमार सिन्हा उपायुक्त गुमला