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गोली-बारूद के क्षेत्र में महक रही फूलों की खुशबू

श्रीकांत बसिया(गुमला) गुमला जिला के लोहड़ी गांव में बारूद के दुर्गध के बीच फूलों की खुशबू

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 10:10 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 10:10 PM (IST)
गोली-बारूद के क्षेत्र में महक रही फूलों की खुशबू
गोली-बारूद के क्षेत्र में महक रही फूलों की खुशबू

श्रीकांत, बसिया(गुमला): गुमला जिला के लोहड़ी गांव में बारूद के दुर्गध के बीच फूलों की खुशबू महकने लगी है। जेरबेरा फूल की खेती कर प्रखंड के लोहड़ी एवं पखनाटोली गांव की महिलाएं अपनी अलग पहचान बना रही हैं। फूलों की खेती से ग्रामीण महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन रही है। स्वावलंबन की इबादत लिख रही हैं। इनके इस कदम को उद्यान विभाग गुमला मदद कर रहा है।विभाग द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर करने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए इन्हें विभाग द्वारा ग्रीन हाउस एवं पौधा उपलब्ध कराया गया है। अब इस अभियान में नए किसान भी जुड़ने लगे हैं। महिलाएं ही दूसरी महिलाओं को जरबेरा फूल की खेती करने के लिए प्रेरित कर रही है। ताकि महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो सके। झारखंड में जितनी फूलों की डिमांड है। उस हिसाब से झारखंड में खेती नहीं हो पाती है। इसके कारण जरबेरा व अन्य फूलों को कोलकाता से मंगाया जाता है। लेकिन गुमला जिला में फूलों के उत्पादन को बढ़ाने देने के लिए उद्यान विभाग अपनी ओर से महिलाओं को प्रशिक्षण भी दे रहा है।

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क्या कहती हैं महिला

इस खेती से जुड़ी लोहड़ी गांव की महिला तारामुनी कच्छप का कहना है कि घर का काम निपटा कर हमलोग ग्रीन हाउस में खेती कर रहे हैं। फूलों की मांग हमेशा होती है। इस कारण हम लोग इसकी खेती कर रहे हैं।पहले हम लोगों को हाथ फैलाना पड़ता था।लेकिन अब हम लोग खुद का पैसा कमा कर घर चला रहे हैं।इसके लिए उद्यान विभाग द्वारा सहयोग मिला है।

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आमदनी का लक्ष्य

प्रखंड में लोहड़ी एवं सोलांगबिरा पखना टोली गांव में महिला तारामुनी कच्छप एवं तेरेसा लकड़ा द्वारा फूल की खेती की गई है। दोनों गांव में 23-23 डिसमिल जमीन पर ग्रीन शेड लगाया गया है, जिसमें 1-1 हजार फूल के पौधे लगे हैं।एक पौधे में लगभग 7 फूल निकलते हैं। एक फूल की कीमत पांच रुपया है।

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कई दिनों तक तरोताजा रहते हैं जरबेरा फूल

जरबेरा आकर्षक रंगों में होने कारण साज-सज्जा में काफी उपयोगी होता है। यह मूलत: अफ्रीका देश का फूल है। इस फूल का उत्पादन सालभर किया जा सकता है। इस वजह से यह व्यावसायिक दृष्टि से अच्छी आय दे रहा है। जरबेरा लम्बे डंठल में पंखुड़ियों वाला बेहद मनमोहक फूल होता है। यह लाल, स़फेद, पीले, नारंगी आदि रंगों में पाया जाता है। इसका फूल फूलदान में कई दिनों तक तरोता•ा बना रहता है। गुलदस्ते और स्टेज की सजावट में यह फूल काफी उपयोगी होता है। जरबेरा की प्रमुख उन्नत किस्में लारा, डेल्फिन, संटल, ओलम्पिया, नवादा और कोरमारॉन है। पौधा रोपण के तीन महीने बाद जरबेरा में फूल आना शुरू हो जाता है। जब दो तीन बाहरी पंखुड़ियों की लाइन डंठल के लंबवत हो जाती है तो फूल की तुड़ाई शुरु होती है। एक बार रोपाई के बाद पौधों से 24 से 30 महीनों तक पौधों से उत्पादन लिया जा सकता है।


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