गुड़ाम के ग्रामीणों को सड़क निर्माण की है प्रतीक्षा
कोनबीर से गुड़ाम होते हुए सुकुरूडा तक बनने वाली सड़क के निर्माण कार्य पूरा होने की गांव के लोगों को अब भी प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। मार्च 2016 में उग्रवादियों ने संवेदक से लेवी नहीं मिलने के कारण सड़क निर्माण में लगे कुल चार लोगों की दिन दहाड़े हत्या कर दी थी। उसके बाद से सड़क का निर्माण कार्य ठप पड़ा हुआ है। सड़क का।
रमेश कुमार पाण्डेय, गुमला : कोनबीर से गुड़ाम होते हुए सुकुरूडा तक बनने वाली सड़क के निर्माण कार्य पूरा होने की गांव के लोगों को अब भी प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। मार्च 2016 में उग्रवादियों ने संवेदक से लेवी नहीं मिलने के कारण सड़क निर्माण में लगे कुल चार लोगों की दिन दहाड़े हत्या कर दी थी। उसके बाद से सड़क का निर्माण कार्य ठप पड़ा हुआ है। सड़क का निर्माण कार्य पूरा कराकर लोगों को आवागमन की बेहतर सुविधा देने की कोशिश न तो जिला के अधिकारी कर रहे हैं और न ही राजनीतिक दल के नेता ही। यह सड़क कोनबीर से बनना आरंभ हुआ था। गुड़ाम दाचूटोली में सड़क का निर्माण कार्य चल रहा था। लोगों को उम्मीद थी कि जंगल के बीच बसे इस गांव के लोगों को सड़क बन जाने से बेहतर सुविधा मिलेगी। लेकिन पीएलएफआइ के उग्रवादियों ने खून की ऐसी होली खेली जिसे भूला पाना ग्रामीणों के लिए संभव नहीं हो पा रहा है। गुड़ाम गांव से सुकुरूडा तक घने जंगल हैं। उसी जंगल से गुजरी सड़क का निर्माण काम चल रहा है। पीएलएफआइ के उग्रवादियों ने इस गांव के भोला प्रसाद साहु के इकलौता पुत्र ललित शंकर प्रसाद साहु, फगुनी साहु के पुत्र रवि शंकर साहु और इसी गांव के अजय टोपनो की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इन लोगों का दोष यही था कि वे लोग सड़क निर्माण कार्य में मुंशी और मजदूरी का काम कर रहे थे। एक चौथा व्यक्ति भी मारा गया था जो बिहार का रहने वाला था। उस घटना के बाद से सड़क का निर्माण कार्य बंद करा दिया गया। तब से दुबारा सड़क का निर्माण कार्य आरंभ भी नहीं हुआ। संवेदक काम छोड़कर भाग गया। क्या कहते हैं ग्रामीण
गुड़ाम दाचूटोली के रहने वाले यशोमती देवी, जेवियर एक्का, संतोष कुमार साहु, रेखा देवी, तिजनी देवी, कैलाश साहु, बिनित इंदवार, हफीन्द्र ओहदार ने बताया कि हमने अपने गांव के तीन लाल को गंवाए हैं। उम्मीद थी कि सड़क का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। सड़क निर्माण का काम पूरा होने की हमें पौने चार साल से प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। एक तो जंगली इलाका है। इस जंगली इलाके में सड़क बन जाने से विकास के द्वार खुल जाते। किससे कहें कोई सुनना ही नहीं चाहता। अधिकारी भी इस क्षेत्र का दौरा नहीं करते। लोगों की समस्या को नहीं सुनते। जन प्रतिनिधि भी इस गांव की ओर रूख नहीं करते। नतीजतन अधूरा सड़क निर्माण का काम दुबारा आरंभ नहीं हो सका। वे लोग चाहते हैं कि कम से कम सड़क तो बन जाए।