स्ट्राबेरी की खेती की ओर बढ़ा किसानों का रुझान
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स्ट्राबेरी की खेती कर नकदी फसल को दिया जा रहा है बढ़ावा, उद्यान विभाग से मिल रहा है सहयोग
संतोष कुमार, गुमला: जिले की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है। लेकिन यहां साल में केवल एक बार ही मानसून आधारित धान की फसल होती है। इसके बाद खेत खाली रह जाते हैं। जहां थोड़ा बहुत पानी की सुविधा होती है वहां के किसान दूसरी खेती कर लेते हैं लेकिन जहां पानी की सुविधा नहीं हैं वहां धान के अतिरिक्त कोई दूसरी फसल नहीं होती है। उद्यान विभाग खाली पड़े भूमि पर सालों भर नकदी खेती करने और कृषकों को आर्थिक रुप से संपन्न बनाने का काम में जुटा है। इस काम में सफलता भी मिल रही है और किसान भी नकदी फसल की ओर अग्रसर हो रहे हैं। जिला में उद्यान विकास योजना के तहत जिला के 74 किसानों के 14 हेक्टेयर भूमि पर टीसू कल्चर स्ट्राबेरी की खेती की जा रही है। यहां कि मिट्टी स्ट्रोबेरी की खेती के लिए उपयोगी है। इस फसल में आमदनी भी अच्छी है। यही कारण है कि किसान भी इस खेती को करने में रुचि ले रहे हैं। उद्यान विकास योजना से किसानों को 50 फीसद अनुदानित दर पर पौधा उपलब्ध कराया गया है। साथ ही तकनीकी सहयोग और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है। विभाग ने दावा किया है कि कम से कम 30 हजार किलो स्ट्राबेरी का उत्पादन प्रत्येक वर्ष होने की संभावना है। कम से कम 160 रुपये प्रति किलो की दर से बिक्री की जाती है तो 50 लाख रुपये की आमदनी आसानी से होगी। एक बार पौधा लगाने के बाद यह तीन वर्षों तक फल देता रहता है। किसानों लगातार तीन वर्षों तक स्ट्रोबेरी की बिक्री करते रहेंगे।
क्या कहते हैं अधिकारी
स्ट्राबेरी की बाजार में काफी मांग है। किसानों द्वारा उत्पादित स्ट्राबेरी को बेचने के लिए बाहर के बाजार में जाने की भी जरुरत नहीं पड़ेगी। स्थानीय बाजार में भी आसानी से बिक्री हो जाएगी। विभाग द्वारा किसानों को तकनीकी सहयोग की जा रही है इसलिए फसल के बर्बाद होने की संभावना भी नहीं है। सामूहिक रुप से लोग बेहतर तरीके से खेती कर रहे हैं।
दीपक कुमार
तकनीकी सहायक ,जिला उद्यान कार्यालय गुमला