आसमान में घिरते बादल और खाली जेब ने ली किसान की बलि
रमेश पांडेय, सिसई : सिसई के सकरौली गांव में शुक्रवार को फिर एक किसान को जान देनी पड़ी। खेती-किसानी के
रमेश पांडेय, सिसई : सिसई के सकरौली गांव में शुक्रवार को फिर एक किसान को जान देनी पड़ी। खेती-किसानी के मौसम में आसमान में घिरते बादल देख जहां किसान कुलांचे भरने लगते हैं वहीं बाकेश्वर उरांव ठन-ठन जेब और आने वाले दिनों की अपनी मजबूरी से जंग लड़ रहा था। तमाम रास्ते बंद नजर आ रहे थे। कहने को तो ठीक-ठाक घर भी था, खाने के लिए राशन भी मिल रहा था, बच्चे भी कॉलेज-स्कूल में पढ़ रहे थे लेकिन इन सबको खींचने और गति देने के लिए पैसे ही नहीं थे। मजबूरी में वह रोज मजदूरी करने गुमला जाता था, सिसई में काम नहीं मिल रहा था। इसने भी परेशानी बढ़ा दी थी। उसे विश्वास हो चला था कि ऐसे हालात में वह इस वर्ष खेती नहीं कर सकेगा। खेती नहीं होने का मतलब था परिवार की तमाम आवश्यकताओं, इच्छाओं और अरमानों का दम तोड़ देना। ऐसे डरावने सपने सहित अकेले दम तमाम विपत्तियों से जंग लड़ते बाकेश्वर ने अंतत: हथियार डाल दिया। कहने को उसने आत्महत्या कर ली लेकिन यह आत्महत्या नहीं बलि है जो उसके जैसे लघु किसानों को देशभर में देनी पड़ रही है। खैर उसके मौत की सूचना के बाद प्रशासन सक्रिय हो उठा। मृतक के परिजनों को दस हजार की सहायता राशि दी गयी और भी सरकारी लाभ देने की कवायद शुरू हो गई। उपायुक्त शशि रंजन के निर्देश पर जिला कृषि पदाघिकारी रमेशचंद्र सिन्हा सकरौली गांव पहुंचे और प्रारंभिक जांच की। जांच के आधार पर उपायुक्त ने कहा कि वन विभाग ने बाकेश्वर के कब्जे की जमीन ले ली थी, तब से वह परेशान था। उसे राशन कार्ड से नियमित अनाज भी मिल रहा था, प्रतित होता है उसने अन्य कारणों से जान दी है।