जिले में 45 दिनो में 694 बच्चे हुए संक्रमित
गुरदीप राज गुमला दुनिया भर में कोरोना वायरस ने आतंक मचाया हुआ है।
गुरदीप राज, गुमला : दुनिया भर में कोरोना वायरस ने आतंक मचाया हुआ है। इसके कोहराम से सारी दुनिया जैसे एक पिजरे में कैद हो गई है। अब तक यह वायरस हजारों लोगों को निगल चुका है। अब इसकी टेढ़ी नजर बच्चों पर भी पड़ने लगी है। गुमला जिला में अप्रैल से 23 मई 2021 तक यानी करीब डेढ़ माह में 694 बच्चों को संक्रमित कर चुका है। जो बच्चे संक्रमित हुए हैं इनकी उम्र जीरो से 18 वर्ष तक के बीच है। इतनी बड़ी संख्या में बच्चों के संक्रमित होने से जिले में स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है।
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कोरोना संक्रमितों से बच्चों तक पहुंचा यह वायरस :
जिले में 10 मार्च तक सिर्फ कोरोना के सक्रिय मामले सिर्फ 13 थे। लेकिन 8 मई तक यह आंकड़ा 2268 तक पहुंच गया था। इन संक्रमितों की वजह से ही 694 बच्चे कोरोना संक्रमित हुए है। यह बच्चें कोरोना संक्रमितों के संपर्क में किसी न किसी वजह से आए और वे भी संक्रमित हो गए। गांव व शहरी क्षेत्र में रहने वाले दोनों ही तरह के बच्चे संक्रमण का शिकार हुए हैं। इनमें से ज्यादातर वैसे बच्चे हैं। जिनके परिवार में कोई न कोई संक्रमित हुआ और वे होम आइसोलेशन में थे। होम आइसोलेशन के दौरान बच्चे उनके संपर्क में आ गए और वे भी संक्रमित हो गए। इसके साथ ही वैसे बच्चों भी संक्रमित हुए जिनके अभिभावक बच्चों के लेकर भीड़भा़ड़ वाले स्थान, अस्पताल आना-जाना कर रहे थे। बुधवार को नवडीहा गांव के दो दस वर्षीय बच्चों को कोरोना के शक में सदर अस्पताल में भर्ती किया गया है। जिसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी और खांसी भी हो रही थी।
---- सैकड़ों बच्चों की मां पाई गई संक्रमित
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डा. राहुल देव ने बताया कि गुमला जिले में सैकड़ों बच्चों की मां संक्रमित पाई गई है। इससे बच्चों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों में सुस्ती, दूध नहीं पीना, उल्टी करना, दस्त लगना जैसे लक्षण भी कोरोना की ओर इशारा करते हैं। कई बच्चों की कोरोना जांच उन्होंने खुद ही लिखी है। अगर कोई गर्भवती संक्रमित है तो उसके गर्भ से ही नवजात को संक्रमण हो जाता है. नवजात बच्चो में संक्रमण जल्द ही पकड़ में नहीं आता है। इसके लिए दो से तीन दिन में। फिर एक सप्ताह में फिर 14 दिनों में जांच कराने से नवजात में कोरोना की पुष्टि होती है. ------
65 बेडों वाला बना बाल रोग वार्ड तैयार
जिले में बच्चों के लिए तैयार किए जाने वाले बाल रोग वार्ड (पीडियाट्रिक वार्डों ) में 65 बेडों की व्यवस्था की गई है। जिसमें से पीआईसीयू में 19 सामान्य बेड, एसएनसीयू में 12 कंसन्ट्रेटर युक्त बेड तथा एचडीयू में 34 बेडों की व्यवस्था की गई है। उक्त 34 बेडों में से 17 बेड कंसन्ट्रेटर युक्त जबकि शेष 17 बेडों को ऑक्सीजन पाइपलाइन की सहायता से निर्बाध ऑक्सीजन की सुविधा बहाल की जा रही है। वहीं पीडियाट्रिक वार्ड में अबाधित सेवा प्रदान करने हेतु चिकित्सकों, नर्स, एएनएम, ऑक्सीजन पाइपलाइन संचालन हेतु तकनीकी कर्मियों आदि को चिन्हित कर लिया गया है। सदर अस्पताल के सेंकेंड फ्लोर पर दो कमरे लिए गए हैं। प्रति कमरा में आठ-आठ बेड हैं। दोनों कमरों में शौचालय अटैच है। एक कमरे में आठ बेड लगा दिया गया है। आक्सीजन भी उपलब्ध करा दिया गया है। छोटे बच्चों को घर जैसा माहौल मिले इसके लिए कमरे को आंगनबाड़ी केन्द्र की तर्ज पर सजाया जा रहा है। कमरे के दीवारों में एक सौ सौ तक गिनती के स्टीकर लगाए हैं। क से कबूतर और ए से एप्पल हिन्दी एवं अग्रेंजी वर्णमाला भी अंकित कराए गए हैं। डीएस आनंद किशोर उरांव ने कहा कि विभाग से मिले निर्देश के आलोक में अभी तत्काल आठ बेड का चाइल्ड फ्रेंडली वार्ड बनाया जा रहा है।
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संक्रमित व्यक्ति जो होम आइसोलेशन में है। वैसे लोगों से भी बच्चों में कोरोना संक्रमण फैल रहा है। क्योंकि बच्चे उनके संपर्क में किसी ने किसी वजह से आ जाते हैं। जिले में डेढ़ माह में 694 बच्चे कोरोना संक्रमित हुए है। - डा. नागभूषण प्रसाद, नोडल पदाधिकारी कोविड 19