पांच साल में गोड्डा में दुग्ध उत्पादन हुआ एक लाख मैट्रिक टन
- विश्व दुग्ध दिवस आज फोटो- 17 18 - जिला में तीन दुग्ध शीतक केंद्र की क्षमता आठ हजार लीटर -
- विश्व दुग्ध दिवस आज
फोटो- 17, 18
- जिला में तीन दुग्ध शीतक केंद्र की क्षमता आठ हजार लीटर
- 5000 लीटर दूध जमा होता प्रतिदिन, बढ़ता जा रहा मिल्क रूट
- संताल परगना में सबसे अधिक भैंस गोड्डा में, दूध उत्पादन में राज्य में 11वें स्थान पर अनंत कुमार / गोड्डा:
पोषण के लिहाज से महत्वपूर्ण आहार के उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष एक जून को विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है। दूध उत्पादन में जिला आगे बढ़ रहा है। बड़ी संख्या में दुधारू पशुधन की जिला में है। जिले में सरकारी आंकड़े के अनुसार यहां 96 हजार से अधिक सिर्फ भैंस है। यह पूरे संताल में सर्वाधिक है। दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अनुदान पर पशुपालक को दुधारू पशुधन उपलब्ध कराया गया है।
पिछले पांच से पशुधन में लगातार वृद्धि हो रही है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2014-2015 में जिला में 83 हजार मैट्रिक टन दूध का उत्पादन होता था जो बाद के वर्षो में कुछ कम हुआ लेकिन वर्ष-2019-2020 में बढ़कर 98 हजार 900 मैट्रिक टन हो गया। वर्तमान में लगभग एक लाख मैट्रिक टन दूध का उत्पादन जिला में हो रहा है। सरकारी आंकड़े के अनुसार जिला में चार लाख 49 हजार पशुधन हैं। जिले से उत्पादित दूध भागलपुर व देवघर डेयरी में खपत होता है। उत्पादन के साथ जिला में दूध की खपत भी बढ़ी है। गव्य विकास विभाग भी प्रयास कर रहा है ताकि जिला दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बने। राज्य में दुग्ध उत्पादन में गोड्डा जिला 11 वें और संताल परगना प्रमंडल में तीसरे स्थान पर है। ------------ जिला में तीन दुग्ध शीतक केंद्र :
जिला में गव्य विकास विभाग की ओर से पोड़ैयाहाट के पसई व गोड्डा प्रखंड के कठौन में क्रमश: दो-दो हजार लीटर क्षमता की है जबकि जिला मुख्यालय स्थित चकेश्वरी कृषि प्रक्षेत्र स्थित गव्य विकास कार्यालय में चार हजार लीटर क्षमता का दुग्ध शीतक केंद्र(बल्क मिल्क कूलर) स्थापित है। तीनों मिलाकर प्रतिदिन पांच लीटर दूध औसतन डेयरी में भेजा जाता है। इस दौरान मिल्क रूट भी लगातार बढ़ रहा है। जिससे लगभग 65 गांवों को जोड़ा गया है। अब पथरगामा व महागामा के आधा दर्जन गांव भी मिल्क रूट में जुड़ेंगे। उत्पादित दूध का पैसा मिल्क फेडरेशन की ओर से सीधे पशुपालकों के खाते में भेजा जाता है। दो साल से कोरोना संक्रमण व लॉक डाउन का भी असर योजना पर पड़ा है। पथरगामा व महागामा में डेढ़ हजार लीटर दूध जमा होने की स्थिति में यहां भी बल्क मिल्क कूलर बनाने की योजना है। विभाग की मानें तो सरप्लस दूध ही दु्ग़्ध शीतक केंद्र में जमा हो रहा है जहां स्थानीय जरूरत पूरा होने बाद बचे दूध की कीमत पशुपालकों को आसानी से मिल रही है। ------------ कोरोना के कारण विभाग की योजना प्रभावित गोड्डा: जिला में कोरोना को लेकर पिछले डेढ़ साल से कोरोना व लॉक डाउन के कारण दुधारू पशुधन वितरण की योजना प्रभावित हुई है। सरकार का प्रयास है कि पशुपालकों को अधिक से अधिक सुविधा बढ़ाई जाय। विभाग के अनुसार मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के तहत 50 प्रतिशत अनुदान में लगभग 425 लाभुकों को चयन हो चुका है जिसमें 340 लाभुकों को दो गाय देने की योजना के लिए, 66 लाभुक का चयन पांच गाय के लिए व 18 लाभुक का चयन दस गाय के वितरण के लिए हुआ है। विभाग के अनुसार लाभुकों को राशि उपलब्ध करा दी गई है। शेड बनने के बाद गाय का वितरण हो जायेगा। ------------- जिला में दूध उत्पादन की काफी संभावना है। पशुपालकों को 50 प्रतिशत अनुदान पर गाय उपलब्ध कराई जा रही है। इस साल शेड बनने के बाद 425 लाभुकों को दुधारू गाय दी गई। तीन बल्क मिल्क कूलर जिला में संचालित है। यहां प्रतिदिन लगभग पांच हजार लीटर दूध जमा हो रहा है। लगभग 65 गांवों को मिल्क रूट से जोड़ा गया है। पशुपालकों को इससे फायदा मिल रहा है। सालाना एक लाख मैट्रिक टन दूध का उत्पादन गोड्डा जिला में हो रहा है। इसमें आने वाले दिनों में अधिक वृद्धि भी संभावित है। - अमरेन्द्र कुमार, डीटीओ, गव्य विकास विभाग गोड्डा। -----------