कृषि कानूनों के खिलाफ ललमटिया में दो घंटे तक चक्का जाम
संवाद सहयोगी ललमटिया कृषि कानून के खिलाफ किसान संगठनों की ओर से आहूत देश व्यापी
संवाद सहयोगी , ललमटिया : कृषि कानून के खिलाफ किसान संगठनों की ओर से आहूत देश व्यापी चक्का जाम आंदोलन के दौरान शुक्रवार को ललमटिया के सिदो कान्हू चौक पर वाम संगठनों की ओर से जोरदार आंदोलन किया गया और करीब दो घंटे तक चक्का जाम किया गया। इसमें सीटू , एटक और सीपीआई के नेताओं ने दो घंटे तक सड़क पर चक्का जाम लगाकार केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। वामदलों ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानून के खिलाफ आवाज बुलंद की। माकपा सह सीटू के वरीय नेता डॉ राधेश्याम चौधरी एवं एटक नेता रामजी साह ने कहा कि केंद्र सरकार ने लोकतंत्र का गला घोंट कर संसद में कोरोना काल में तीन काले कृषि कानूनों को थोपने का काम किया है। किसानों के लिए तीनों कानून काला है। सरकार को तीनों कृषि कानूनों को हर हाल में वापस लेना पड़ेगा। वक्ताओं ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करने में केंद्र सरकार दिलचस्पी नहीं दिखा रही है लेकिन कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए कृषि क्षेत्र में तीन काले कानूनों को थोप दिया गया है। इसके खिलाफ लगातार चार माह से देश में आंदोलन हो रहे हैं। राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर लाखों किसान धरना दे रहे हैं। अब तक डेढ़ सौ अधिक किसानों की जान चली गई है लेकिन केंद्र की मोदी सरकार अपनी जिद पर अड़ी है।
एमएसपी पर कानून बनाओ, श्रम कानूनों में संशोधन वापस लो :
मौके पर आंदोलनकारियों ने कहा कि मोदी सरकार को अगर किसानों की इतनी ही चिता है तो पहले उन्हें एमएसपी पर कानून बनाना चाहिए और श्रम कानूनों में संशोधन को वापस लेना चाहिए। तीन कृषि कानून देश को मंजूर नहीं है। केंद्र सरकार की मनमानी के खिलाफ पूरे देश में किसानों में गुस्सा है । कहा कि खेत हमारा और कानून तुम्हारा, यह नहीं चलेगा । किसान देश के अन्नदाता हैं और किसानों के खिलाफ यह कानून उन्हें आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर रहा है । केंद्र सरकार देश की सार्वजनिक संपत्ति को बेचने में लगी हुई है । यदि सरकार अपने अड़ियल रवैये से बाज नहीं आती है और कृषि कानून को वापस नहीं लेती है, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। इधर जाम की सूचना मिलने के बाद ललमटिया थाना प्रभारी ललित कुमार पांडे ने जाम में शामिल 17 नेताओं को गिरफ्तार कर थाना लाया और पीआर बांड भरवा कर छोड़ा गया।
मौके पर एटक नेता गुरु प्रसाद हाजरा, रामसुंदर महतो, किसान सभा के सचिव अशोक कुमार साह, राधा प्रसाद साह, बाबूलाल किस्कू ,झारखंड राज्य महिला समाज के अध्यक्ष तालामय सोरेन, सुशीला टुडू, मालती मुर्मू , रघुबीर मंडल ,मंगली देवी , शांति मुर्मू ,फारूक अंसारी ,प्रदीप डे सहित दर्जनों वाम कार्यकर्ता उपस्थित थे।