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प्रवासी मजदूरों को मिला केंचुआ खाद उत्पादन का प्रशिक्षण

गोड्डा कृषि विज्ञान केंद्र के सभागार में गरीब कल्याण रोजगार अभियान के अन्तर्गत प्रवासी श्रमिक

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 06:21 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 06:21 PM (IST)
प्रवासी मजदूरों को मिला केंचुआ खाद उत्पादन का प्रशिक्षण
प्रवासी मजदूरों को मिला केंचुआ खाद उत्पादन का प्रशिक्षण

गोड्डा : कृषि विज्ञान केंद्र के सभागार में गरीब कल्याण रोजगार अभियान के अन्तर्गत प्रवासी श्रमिकों के जीविकोपार्जन हेतु दक्षता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत केंचुआ खाद उत्पादन विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन हो गया है। सभी प्रवासी श्रमिकों को फेस मास्क के साथ सामाजिक दूरी के नियमानुसार सभागार में बैठाया गई। वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ रविशंकर ने प्रवासी श्रमिकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि केंचुआ खाद में पोषक तत्व साधारण गोबर खाद की तुलना में अधिक होते हैं। साथ ही पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला एंटीबायोटिक जो एक्टिनोमाइसिटीस से प्राप्त होता है। केंचुआ खाद में साधारण गोबर की खाद की तुलना में आठ गुना ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। मिट्टी के जीवांश (ह्यूमस) में वृद्धि से मिट्टी की संरचना, वायु संचार तथा जल धारण क्षमता बढ़ जाती है। कृषि प्रसार वैज्ञानिक डॉ0 रितेश दुबे ने प्रवासी श्रमिकों को बताया कि गोबर को खाद के रूप में परिवर्तित करके मिट्टी की उर्वरता में जिस एक जीव की सर्वाधिक भूमिका होती है, वह केंचुआ है। इसकी खूबियों के कारण ही इसे प्रकृति का हलवाहा भी कहा जाता है। ये केंचुए पौधों के जड़, पत्ती, तने एवं खेत के अन्य कार्बनिक पदार्थों को विघटित करके उसे कीमती खाद में परिवर्तित कर देते हैं। केंचुआ खाद तैयार करने में उपयोगी केंचुए की दो प्रजातियाँ ऐसीनिया फोटिडा तथा युड्रिलस युजीनी, सीमेंटेड वर्मी बेड, प्लास्टिक वर्मी बेड तैयार करना एवं केंचुआ खाद से होने वाले आर्थिक लाभ के विषय पर विस्तृत जानकारी दी। पशुपालन वैज्ञानिक सतीश कुमार ने कहा कि गोड्डा जिला में जैविक खेती की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए केंचुआ खाद की बाजार में वृहद स्तर मांग होना निश्चित है। अत: केंचुआ खाद को अच्छे से पैकेजिग करके ग्रामीण, जिला एवं राज्य स्तर पर तैयार केंचुआ खाद का व्यापार किया जा सकता है। केंचुआ खाद उत्पादन को स्वरोजगार के रूप में अपना कर प्रवासी श्रमिक अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। प्रवासी श्रमिक अशोक मंडल, प्रणय कुमार झा, सोनू रामदास ने प्रशिक्षण सम्बन्धित अपने अनुभव को साझा किया। सभी प्रवासी श्रमिकों के बीच तरल जैविक खाद, बारह वेस्ट डीकम्पोजर की शीशी, बारहमासी सहजन का पौधा एवं प्रमाण पत्र वितरित किया गया। कृषि प्रसार वैज्ञानिक डॉ0रितेश दुबे ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। मौके डॉ सूर्यभूषण, डॉ हेमन्त कुमार चौरसिया, डॉ प्रगतिका मिश्रा, राकेश रौशन कुमार सिंह, रजनीश प्रसाद राजेश, वसीम अकरम, राजेश आदि मौजूद रहे। दिनेश मुर्मू, रघुवीर दर्वे, राकेश मंडल, अभिषेक राम, पवन राम, बमबम शंकर सिंह, दीपक साह, निरंजन पासवान,भोला दर्वे, अरविद यादव समेत 35 प्रवासी श्रमिक प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए।

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