एड्स पीड़ितों के प्रति सामाजिक सद्भाव आवश्यक
संवाद सहयोगी गोड्डा विश्व एड्स दिवस पर जगह-जगह जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस
संवाद सहयोगी, गोड्डा : विश्व एड्स दिवस पर जगह-जगह जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान लोगों को एड्स से बचाव व पीड़ितों के प्रति सदभाव बरतने का आह्वान किया गया। बुधवार को स्थानीय महिला कालेज सभागार में एनएसएस के तत्वावधान में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में विज्ञान संकाय की प्रोफेसर डा सुधी वत्स ने कहा कि जानकारी ही एचआइवी से बचाव का उपाय है।
एनएसएस यूनिट एक की कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो. सुमनलता, यूनिट दो की प्रो. रेखा कुमारी, यूनिट तीन की डा. शाबरा तबस्सुम और यूनिट चार की कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो. नूतन झा मौजूद थी। मुख्य वक्ता डा सुधी वत्स ने छात्राओं को एड्स के बारे में बुनियादी जानकारी दी। कहा कि किसी बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाना बीमारी के खात्मे का पहला कदम है।
एड्स रोग एचआइवी पाजिटिव संक्रमण के बाद की स्थिति है। इसमें मानव अपने प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है। एड्स खुद कोई बीमारी नही है, पर एड्स से पीड़ित मानव शरीर संक्रामक बीमारियों, जो कि जीवाणु और विषाणु से होती है की चपेट में आकर अपना जीवन खत्म कर लेता है। एचआइवी से रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशिकाओं पर आक्रमण करता है। इससे एड्स पीड़ित के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता धीरे धीरे क्षय होने लगता है। दुनिया अभी एड्स जैसी बीमारी पर नियंत्रण कर रही है। जागरूकता और परहेज से इस बीमारी को खत्म किया जा सकता है। संचालन छात्रा लिपि कुमारी कर रही थी। मौके पर प्रो. पूनम झा, मनोज कुमार, छात्रा तरन्नुम, अंकिता,खुशी, कोमल, मनीषा, सुहागिनी हेंब्रम, सोनी कुमारी,डोना मंडल, परमिता सोरेन, सुप्रिया भारती, पायल झा, निशा गाड़ियां, आशा टुडू, अंजलि, दिव्या, आस्था मौजूद थे। ---------------------------
हाथ मिलाने से नहीं होता एड्स
गोड्डा : जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से विश्व एड्स दिवस पर बुधवार को पुस्तकालय सभागार में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान रीटेनर अजीत कुमार ने कहा कि किसी भी गंभीर बीमारी के बारे में जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है। एड्स रोग हाथ मिलाने से या छूने से नहीं फैलता है। अगर ठीक से दवा को सेवन करे तो एड्स रोगी साधारण जीवन जी सकता है। इसके पूर्व ट्राई के मास्टर ट्रेनर अनिमेष कुमार ने कहा कि यह लाइलाज है। एचआइवी- एड्स जागरुकता को लेकर 2017 में एक कानून बनाया गया। सूई और नीडल साझा करने पर भी एड्स का खतरा रहता है। समाज के एड्स फैलाने के लिए ट्रक ड्राइवर, पुरुष व महिला सेक्स वर्कर, दूसरे प्रांत में काम करने गये मजदूर ही मुख्य धारक हैं। सरकार ने भी इन लोगों पर विशेष नजर रखने के लिए जांच व समुचित उपचार की व्यवस्था की है।