मकर संक्रांति पर शहर में सजने लगी दुकानें
संवाद सहयोगी गोड्डा मकर संक्रांति को लेकर शहर व ग्रामीण हाटों में तिल की बनी सामग्री
संवाद सहयोगी, गोड्डा : मकर संक्रांति को लेकर शहर व ग्रामीण हाटों में तिल की बनी सामग्री, गूड, चूड़ा सहित विविध अनाजों का लड्डू की दुकानें सजने लगी है। प्रति वर्ष 14 - 15 जनवरी को मकर संक्रांति बनाया जाता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मकर संक्रांति मनाया जाता है। यह पर्व हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। इस पर्व में तिल का विशेष महत्व है। इसकी तैयारी को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग चूड़ा तैयार करवाने में जुट गये हैं। क्षेत्र के चूड़ा मिलों में चूड़ा तैयार करवाने के लिए लाइन लगती है। उसी तरह भूजा के लिए भी भारी भीड़़ है। महिलाएं चूड़ा या धान का भूजा बनाकर उसे गुड़ में डालकर लड्डू बनाती हैं। यह परंपरा आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में जीवंत है। चहुओर उत्साह का माहौल है। हालांकि बाजार में चूड़़ा का लड्डू - 80 रुपये किग्रा, धान के लावा का लड्डू 120 रुपये किग्रा, बाजरा भूजा का लड्ड 120 रुपये प्रति किग्रा व तिल की लड्डू 200 से 250 रूपये प्रति किग्रा की दर से बिक रही है। इधर जगह - जगह तिलकूट निर्माण को लेकर भी दुकाने सज चुकी हैं। वर्तमान में गूड़ का तिलकुट 240 और चीनी का तिलकुट 200 रुपये प्रति किग्रा की दर से बिक रही है। मंदार क्षेत्र के प्रसिद्ध पंडित नंद कुमार निर्मल बताते हैं कि संक्रांति से सूर्य मकर राशि में चला जाता है। इसके कारण दिन बड़ा होने लगता है। जाड़ा में दिन छोटा और रात बड़ा होता है। क्षेत्र के लोग मंदर पर्वत के समीप पारहरनी तालाब में स्नान करती हैं और पूण्य के भागी बनते हैं। इस दिन मंदार पर्वत पर श्रद्धालुओं व सैलानियों की भारी भीड़ लगती है। 15 दिनों तक बौसी में मेला लगाया जाता है। हालांकि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण मेला प्रभावित हुआ है।