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जलसंकट को दूर करने के लिए नगर परिषद ने बनाई योजना

अनंत कुमार गोड्डा ठंड बुढ़ापे पर है। इसलिए गर्मी के मौसम का अहसास होते ही पानी का शोर सुन

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 01:08 AM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 01:08 AM (IST)
जलसंकट को दूर करने के लिए नगर परिषद ने बनाई योजना
जलसंकट को दूर करने के लिए नगर परिषद ने बनाई योजना

अनंत कुमार, गोड्डा : ठंड बुढ़ापे पर है। इसलिए गर्मी के मौसम का अहसास होते ही पानी का शोर सुनाई देने लगी है। मार्च के अंत तक जिला वासियों के हलक सूखने लगेंगे। पानी के लिए भागदौड़ शुरू होगी। एक बार फिर अधूरी योजनाएं याद आएंगी। सत्ता पक्ष की घोषणा की पोल विपक्ष खोलेगा। जल संचयन पर माथापच्ची की जाएगी। यह चिंता जनता की नहीं, निकाय प्रशासन की भी है। इसलिए नगर परिषद ने सालभर जल संचयन की योजना बनाने में जुट गई है। प्यास बुझाने के वैकल्पिक उपायों पर भी मंथन जारी है।

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हाल के वर्षों में आबादी बढ़ने के कारण पानी की खपत बढ़ी है और अंधाधुंध बोरिग हो रही है। इससे गोड्डा के शहरी इलाके में भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। हालात अब इतने खराब हो रहे हैं कि कई इलाके ड्राई जोन हो गए हैं। यहां 300 फीट गहराई तक पानी नहीं मिल रहा है। कम बारिश के कारण शहर के करीब आधा दर्जन तालाब में जल संग्रह नहीं हो रहा है। बरसात के मौसम में भी इन तालाबों में पानी नहीं भर पा रहा है। शहर के 21 वार्ड में से करीब 13 वार्ड ड्राई जोन हैं। अब वर्षा जल संचयन व जल संरक्षण को लेकर नगर परिषद शहर के तालाबों को पानी से भरने के लिए योजना बना रही है।

शहरीकरण का दायरा तेजी से बढ़ता जा रहा है जिसके कारण पानी की खपत और मांग बढ़ गई है। ऐसे में अब दो योजना से नगर परिषद तालाबों को भरने का प्रयास कर रहा है। इनमें पहली योजना सुंदर जलाशय से पाइपलाइन से शहर के तालाबों को जोड़ने और दूसरी कझिया नदी में बरसात के मौसम में पानी की लिफ्टिग कर तालाब तक पहुंचाने की योजना तैयार की गई है। दोनों सफल रहीं तो वर्षा के साथ ही ठंड के मौसम तक आसानी से शहर के तालाबों में पानी लबालब भरा रहेगा। इससे गर्मी के तीन माह तालाब में पानी का आसानी से उपयोग किया जा सकेगा। इससे वाटर रिचार्ज होने के साथ ही ग्राउंड वाटर लेबर काफी हद तक मेंटेन रहेगा। इसके साथ ही वाटर हार्वेरस्टिग की योजना पर भी काम किया जा रहा है।

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नगर परिषद ने कंक्रीट निर्माण में लाई कमी

पर्यावरण व जलसंरक्षण के मद्देनजर नगर परिषद कंक्रीट के निर्माण में कमी लाई है। पहले पीसीसी ढलाई होती थी अब इसकी जगह पेवर्स ब्लॉक बिछाए जा रहे हैं। आवश्यकतानुसार कम से कम काम ही कंक्रीट के लिए किए जा रहे है। मकसद साफ है कि जलसंरक्षण को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जा सके व पानी संरक्षण हो यहां तक की तालाब आदि जगहों पर भी प्राकृतिक स्वरूप के बचाने के लिए कंक्रीट की सीढ़ी नहीं बनाया जा रहा है।

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हाल के वर्षो में पानी की खपत शहर में बढ़ी है। परिषद की योजना है शहर के तालाब सालभर लबालब रहे। नदी व डैम के पानी को वर्षा के मौसम में संचयन करने के लिए शहर के तालाब को भरा जा सके, इसके लिए दो योजना बनी है। कझिया नदी से पानी को लिफ्टिग किया जाएगा व दूसरी योजना में सुंदर जलाशय की पाइपलाइन से तालाबों को भरा जाएगा। दोंनों में से जो बेहतर होगा, उसपर अमल करने का प्रयास होगा। जलसंरक्षण प्राथमिकता में है।

- जितेंद्र कुमार,अध्यक्ष नगर परिषद गोड्डा --------------------

शहर के तालाबों में अगर पानी से भरा रहेगा तो ग्राउंड वाटर लेबल मेंटन हो सकता है। नदी या डैम का पानी लाया जाए तो यह कारगर उपाय हो सकता है। इससे लोगों की अन्य जरूरतें भी पूरी होगी जिस तरह से वर्षा कम हो रही है ऐसे से जिस भी भी उपाय से हो जलसंरक्षण होना चाहिए यह योजना कारगर हो सकती है।

- राकेश रंजन सिंह, कृषि वैज्ञानिक केवीके गोड्डा --------------------

हाल के वर्षों में जिला में वर्षापात में कमी आ रही है। एक जून तक आने वाले मानसून अब विलंब से आता है। ऐसे में अगर तालाबों में नदी के बेकार बहते पानी को भरा जाता है तो हर स्तर से उपयोगी है। लोगों की जरूरत पूरी होगी। काफी हद तक ग्राउंड वाटर लेबल भी मेंटेन होगा। हर व्यक्ति को अब जल का संरक्षण करना ही होगा।

- रजनीश प्रसाद, मौसम वैज्ञानिक केवीके गोड्डा


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