खेती-बाड़ी शुरू करने से पहले मिट्टी की जांच जरूरी : डॉ. रितेश
गोड्डा सबसे पहले विश्वभर में विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर 2014 को मनाया गया था। इस दिवस को हर
गोड्डा : सबसे पहले विश्वभर में विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर, 2014 को मनाया गया था। इस दिवस को हर साल खाद्य व कृषि संगठन की ओर से द्वारा मनाया जाता है। इस बार विश्व मृदा दिवस 2020 की थीम पर्यावरण प्रेमियों से संबंधित है। इस बार का अभियान मिट्टी को जीवित रखने और मिट्टी की जैव विविधता की रक्षा करने से संबंधित है। उक्त बातें कृषि प्रसार वैज्ञानिक डॉ. रितेश दुबे ने शनिवार को ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र के तत्वावधान में पथरगामा प्रखंड के ग्राम बिसाहा में आयोजित कृषक- वैज्ञानिक अंतर्मिलन, विश्व मृदा दिवस कार्यक्रम के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में हर साल पांच दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है। विश्व मृदा दिवस मनाने का उद्देश्य किसानों को मिट्टी की जांच, मिट्टी की प्रकृति (अम्लीयता, उदासीनता, क्षारीयता), पोषक तत्वों की कमी, मिट्टी की महत्ता, मृदा सुधारक, जैविक खाद के प्रयोग के विषय में जागरूक करना है। उद्यान वैज्ञानिक डॉ. हेमंत कुमार चौरसिया ने कहा कि खेती-बाड़ी शुरू करने से पहले मिट्टी की जांच कराना बेहद आवश्यक है। मिट्टी की जांच कराने से मिट्टी का पीएच, मिट्टी की प्रकृति, संतुलित मात्रा में रासायनिक खाद , जैविक खाद डालने का पता चलता है। मिट्टी जांच के उपरांत मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाता है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड तीन साल तक मान्य होता है। गृह वैज्ञानिक डॉ. प्रगतिका मिश्रा ने आदर्श पोषण वाटिका लगाने की विस्तृत जानकारी दी। सभी किसानों को टमाटर और पत्ता गोभी का बिचड़ा वितरित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ बिसाहा ग्राम के मुखिया प्रफुल्ल कापरी ने किया। मौके पर हेमा देवी, सुखी देवी, उल्फद महतो, मुनीलाल कापरी, प्रकाश मंडल, नीलकमल हांसदा, प्रीतम कापरी समेत 60 महिला-पुरुष किसान शामिल थे।