दूध शारीरिक विकास और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी
संवाद सहयोगी गोड्डा ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र गोड्डा के सभागार में मंग
संवाद सहयोगी, गोड्डा : ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र, गोड्डा के सभागार में मंगलवार को विश्व दुग्ध दिवस के अवसर ऑनलाइन वेबिनार आयोजित की गई। यह वेबिनार अटारी, पटना से निर्देशित हुआ। पशुपालन वैज्ञानिक डॉ.सतीश कुमार ने दूध की उपयोगिता एवं महत्व पर विशेष जानकारी प्रगतिशील किसानों को दी। उन्होंने बताया कि दूध पालन-पोषण करने वाला पदार्थ है। यह शारीरिक विकास और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी पेय है। बच्चों, बूढ़ों और स्त्रियों के स्वास्थ्य के लिए दूध अति लाभकारी है। दूध से हमारे शरीर को प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिज तत्व मिलता है। योगाभ्यास करने वालों को भी प्रतिदिन एक गिलास दूध लेना चाहिए। दूध पीने से शरीर की लंबाई और शक्ति बढ़ती है। छोटे बच्चे को दूध प्रतिदिन देना चाहिए क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए हितकर के साथ ही हड्डियों को भी मजबूत बनाता है। शरीर के अन्दर के कीटाणुओं से लड़ने की क्षमता देता है। मुख को कांतिमय बनाता है। दूध से कई प्रकार के उत्पाद जैसे-दही, छाछ, पनीर, छेना, रबड़ी, क्रीम तैयार करके किसान बाजार में बेचकर लाभ कमा सकते हैं। दुधारू गाय की नस्ल जैसे-साहीवाल, गिर, देवनी, भैंस की नस्ल जैसे-मेहसाना, मुर्रा, भदावरी, बकरी की नस्ल जैसे-जमुनापारी आदि अधिक दूध देने वाली नस्लें हैं, इसलिए किसान इन्हीं नस्लों का पालन-पोषण करें। पशुओं के पालन हेतु स्वच्छ पानी, आवास की नियमित सफाई अत्यंत आवश्यक है। पशुओं को खुरपका-मुंहपका, गलघोंटू, लंगड़ी, छेरा रोग से बचाने के लिए टीके अवश्य लगवाएं। पशुओं को खिलाने के लिए भूसा, चूनी-चोकर, खलियां, नमक, हरा चारा जैसे-बरसीम, नेपियर, सूडान घास, सुबबूल एवं कटहल की पत्तियां चारे के रूप में अवश्य खिलाएं। मौके पर डॉ. रविशंकर, डॉ. सूर्यभूषण, डॉ. हेमन्त कुमार चौरसिया, डॉ. प्रगतिका मिश्रा, डॉ. अमितेश कुमार सिंह, डॉ. रितेश दुबे, रजनीश प्रसाद राजेश, राकेश रोशन कुमार सिंह, वसीम अकरम समेत 21 प्रगतिशील किसान वेबिनार से ऑनलाइन जुड़े।