39 ह•ार प्रवासी मजदूरों के समक्ष रोजगार का संकट
गोड्डा केंद्र व राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों को उनके गांव में रोजगार दिलाने में बुरी
गोड्डा : केंद्र व राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों को उनके गांव में रोजगार दिलाने में बुरी तरह विफल रही है। जिले के 39 ह•ार प्रवासी मजदूरों को कोरोना काल में उनके घरों में ही रोजगार दिलाने का वायदा किया गया था लेकिन वायदे पूरे नहीं हो रहे हैं। मुफलिसी में जी रहे प्रवासी मजदूर अब इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। मनरेगा को छोड़ कर किसी भी योजना में आवंटन नहीं है। गरीब कल्याण रोजगार योजना के तहत बीते तीन माह से प्रवासी मजदूरों को अलग अलग कलस्टर में बांट कर कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब एक दर्जन से अधिक प्रशिक्षण शिविर संपन्न हुए हैं लेकिन इसका फलाफल सामने नहीं आया है। अधिकतर गांवों में प्रवासी मजदूरों के समक्ष आर्थिक संकट है। उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है।
मंगलवार को सदर प्रखंड के जमनी पहाड़पुर पंचायत में एक प्रवासी मजदूर विश्वनाथ मिर्धा (55 ) की मौत हो गई । मजदूर तीन माह पूर्व बंगाल से लौटा था। गांव में उसे कोई काम नहीं मिला। वह अपने बेटे के साथ बंगाल में दिहाड़ी मजदूरों करता था। वहां काम बंद होने पर पिता-पुत्र घर लौट आया और घर में रहकर कृषि कार्य सहित मजदूरी कर जीवन यापन कर रहा था। अचानक उसकी तबीयत बिगड़ी और इलाज के अभाव में मजदूर ने दम तोड़ दिया। यह एक बानगी मात्र है जिले में ऐसे कई मजदूर हैं जो रोजगार नहीं मिलने के कारण विकट स्थिति झेल रहे हैं। उन्हें अपने परिवार को दो जून की रोटी की चिता साल रही है। बाहर जा नहीं सकते हैं और घर में काम मिल नहीं रहा है। मनरेगा में जो मानव दिवस सृजित हो रहे हैं वे वैसे आंकड़े नहीं हैं जिससे प्रवासी मजदूरों को रोजगार मिल रहा हो। केंद्र सहित राज्य सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा कर रखी है। लेकिन पिछले दो तीन माह से यहां सिर्फ प्रशिक्षण का दौर ही चल रहा है। अब तक न तो इन्हें आत्मनिर्भर भारत योजना से आच्छादित किया गया है और ना ही गरीब कल्याण रोजगार योजना से ही लाभ मिल पाया है। विभागों में आवंटन का टोटा : कोरोना काल में यहां करीब 55 लोग देश के अलग अलग प्रदेशों से लौटे हैं। इसमें श्रम विभाग के आंकड़े के अनुसार 39 हजार प्रवासी मजदूर हैं। इसका डाटा बेस तैयार किया गया है। करीब 7000 मजदूरों का रजिस्ट्रेशन भी किया गया है। वहीं 15 हजार मजदूरों का मनरेगा में जॉबकार्ड बनाया गया है। जिले में अभी भवन प्रमंडल, ग्रामीण पथ निर्माण विभाग, पीएचईडी, पीडब्ल्यूडी, जिला परिषद, कृषि विभाग, आत्मा, भूमि संरक्षण विभाग, मत्स्य, नगर विकास विभाग आदि में आवंटन का टोटा है। कोरोना काल के पूर्व जिन योजनाओं पर काम हुआ है, उसमें बिल भुगतान नहीं हुआ है। यही नहीं अधिकांश विभागों के कर्मियों व अधिकारियों को बीते मार्च माह से वेतन नहीं मिला है। सूत्र बताते हैं कि जिले में विभिन्न कार्य एजेंसियों की करीब 400 करोड़ रुपये का आवंटन लटका हुआ है। ऐसे में विकास कार्य की रफ्तार भी थम गई है जिससे रोजगार के अवसर भी सीमित हो गए हैं। --------------------------------------
गरीब कल्याण रोजगार योजना के तहत बीते 20 जून से अब तक 11 लाख मानव दिवस सृजित किए गए हैं। वहीं मनरेगा में जुलाई माह में ही 6 लाख मानव दिवस सृजित हुए हैं। मनरेगा का आवंटन बढ़ाया गया है जिससें प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया करने में संकट नहीं है लेकिन अन्य विभागों में आवंटन नहीं रहने से विभागीय योजनाओं पर असर पड़ा है। जिला प्रशासन की ओर से प्रवासी मजदूरों को अलग अलग तरीके से नियोजित करने का यहां बेहतर प्रयास किया जा रहा है।
- संतोष कुमार, प्रभारी पदाधिकारी, नीति आयोग कोषांग, गोड्डा।