बदलते मौसम में धान की फसल का उपचार जरूरी
गोड्डा सितंबर माह में लगातार हो रहे मौसम में बदलाव और बीते अगस्त माह में वर्षा की कमी क
गोड्डा : सितंबर माह में लगातार हो रहे मौसम में बदलाव और बीते अगस्त माह में वर्षा की कमी के कारण इस बार बेहतर स्थिति में धान की फसल नहीं है। इस पर बीमारी का खतरा मंडरा रहा है जिससे किसान चिंतित हैं। अगस्त व सितंबर के पहले पखवारे में वर्षाभाव व तापमान में बढ़ोतरी से धान की फसल में कई जगह बीमारी लग रही है। यह स्थिति सूखा व तापमान में बदलाव के कारण हुई है। धान में इन दिनों गलसा व तनाछेदक बीमारी लग रही है। इससे किसान खासे परेशान हैं। इस बाबत कृषि वैज्ञानिक राकेश रंजन सिंह ने कहा कि लगभग सभी क्षेत्र में यह बीमारी देखी जा रही है। किसानों को इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है बल्कि फसल पर नजर रखने की जरूरत है। कहा कि गलसा बीमारी के लिए हेक्साकोनोजोल 2 एमएल दवा को एक लीटर पानी में घोलकर कर छिड़काव करना है। वहीं बुढिया बीमारी की रोकथाम के लिए धान की उपर की पत्ती कट कर रिजेंट दवा 150 ग्राम प्रतिकट्टा छिड़काव करना है। वहीं तनाछेदक में भी इस दवा का प्रयोग लाभकारी है। जिन खेतों में पानी नहीं है, वहां तनाछेदक बीमारी हो रही है। कृषि वैज्ञानिक राकेश रंजन सिंह ने बताया कि यह समय धान की फसल के लिए काफी अहम है। फिलहाल पानी की कमी नहीं दिख रही है सिर्फ फसल को बीमारी से बचाने के लिए नजर रखने की जरूरत है।
----------------------------------
दो साल बाद बेहतर स्थिति में धान की फसल
गोड्डा: जिला में पिछले दो सुखाड़ के बाद इस बार बेहतर स्थिति में धान की फसल है जिससे किसान काफी गदगद है। जिस तरह फसल है व मौसम ने फिर करवट बदली है संभावना जताई जा रही है, कि इस बार बंपर उत्पादन होगा। धान की फसल से चावल के अलावा पशुओं का चारा भी उत्पादित होता है।