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आवंटन के बाद भी नहीं बन रहा 300 बेड का अस्पताल

आवंटन के बाद नहीं बन रहा 300 बेड का हॉस्पिटल

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 06:26 PM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 06:26 PM (IST)
आवंटन के बाद भी नहीं बन रहा 300 बेड का अस्पताल
आवंटन के बाद भी नहीं बन रहा 300 बेड का अस्पताल

ललमटिया : राजमहल परियोजना से प्रभावित क्षेत्र के लोगों के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य हेतु कोल इंडिया द्वारा स्वीकृत 300 बेड वाले अस्पताल सह रिसर्च सेंटर के निर्माण हेतु ईसीएल ने 150 करोड़ रुपए का आवंटन अपनी सीएसआर पॉलिसी के तहत राजमहल परियोजना को उपलब्ध करा दिया है। राशि उपलब्ध होने के बावजूद इस अस्पताल निर्माण की दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हो रही है। ज्ञात हो कि कोल इंडिया ने ईसीएल के लिए 300 बेड वाले अस्पताल को वर्ष 2012 में ही स्वीकृति दी थी। स्थल चयन को लेकर यहां बीते 8 सालों में पेच फंसा रहा।

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बताया जाता कि सांसद निशिकांत दुबे ने महागामा में उक्त अस्पताल बनाने की पहल शुरू की थी। महागामा अंचल के महुआरा स्थित कृषि एवं गन्ना विभाग की 25 एकड़ जमीन को अस्पताल के लिए चिन्हित किया गया। प्रक्रिया पूरी करने के बाद परियोजना प्रभावित लोगों को सुविधा मुहैया कराने के सवाल पर राज्य सरकार और ईसीएल के बीच लंबे समय तक पत्राचार का दौर चलता रहा। अब जबकि ईसीएल ने प्रथम किस्त की राशि उपलब्ध करा दी है तो इसके निर्माण का मार्ग प्रशस्त होना चाहिए। बहरहाल इस मामले में अब महागामा की नवनिर्वाचित विधायक दीपिका पांडे सिंह ने पहल शुरू की है। विधायक ने हाल में ही राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से मिलीं और उन्हें हस्तक्षेप कर महागामा क्षेत्र में 300 बेड के प्रस्तावित सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल निर्माण सुनिश्चित कराने की मांग की। दरअसल राजमहल परियोजना से प्रभावित क्षेत्रों में एक बेहतर अस्पताल की कमी सर्वथा महसूस की जाती रही है। अस्पताल निर्माण होने से महागामा अनुमंडल क्षेत्र के बड़े हिस्से को इसका लाभ मिल पाएगा। डीएमएफटी फंड से संचालित होगा अस्पताल : जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट डीएमएफटी से उक्त अस्पताल का रखरखाव किया जाएगा। खनन क्षेत्र से उपलब्ध कराए जाने वाले एक निश्चित राशि को इस अस्पताल के रखरखाव एवं कर्मियों को सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। कोल इंडिया की ओर से प्रथम बार सभी प्रकार की सुविधाओं से सुसज्जित कर अस्पताल को राज्य प्रशासन को सौंपा जाएगा। इसके बाद इसके संचालन की पूरी जिम्मेवारी राज्य एवं जिला प्रशासन की होगी। ऐसे में यहां चिकित्सकों की नियुक्ति एवं कॉलेज संचालन के लिए मान्यता राज्य सरकार स्तर से ही लिया जाना है। डीएमएफटी से प्रतिमाह जिले को करीब छह करोड़ रुपये की राशि मिलती है।

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प्रस्तावित अस्पताल के लिए 235 करोड रुपए का आवंटन कोल इंडिया की ओर से ईसीएल को दिया गया है। इसमें से 150 करोड़ रुपये अभी प्रथम किस्त के रूप में आवंटित किए गए हैं। अस्पताल निर्माण की एजेंसी कौन होगी, इसी को लेकर पेच फंसा हुआ है। पूर्व में राज्य सरकार उक्त प्रस्तावित अस्पताल के संचालन के लिए तैयार नहीं थी। इस मामले में ईसीएल उच्च प्रबंधन और राज्य सरकार स्तर से ही मामला सुलझ सकता है। इससे पूर्व ललमटिया आईटीआई का निर्माण ईसीएल स्तर से किया गया लेकिन इसके संचालन को लेकर राज्य सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की गई। लिहाजा अस्पताल मामले में ईसीएल प्रबंधन फूंक फूंक कर कदम रख रहा है।

- शिवाजी राव यादव, काíमक प्रबंधक, ईसीएल, ललमटिया।


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