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मालगाड़ी की 22 बोगियां बेपटरी, पावर प्लांटों में कोयला आपूर्ति बाधित

संवाद सूत्र ललमटिया( गोड्डा) राजमहल परियोजना से एनटीपीसी फरक्का को शुरू हुई कोयले की

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Dec 2020 12:44 AM (IST)Updated: Sat, 19 Dec 2020 12:44 AM (IST)
मालगाड़ी की 22 बोगियां बेपटरी, पावर प्लांटों में कोयला आपूर्ति बाधित
मालगाड़ी की 22 बोगियां बेपटरी, पावर प्लांटों में कोयला आपूर्ति बाधित

संवाद सूत्र, ललमटिया( गोड्डा) : राजमहल परियोजना से एनटीपीसी फरक्का को शुरू हुई कोयले की आपूर्ति एक बार फिर बंद हो गई है। एमजीआर रेलखंड पर ललमटिया से 25 किमी दूर बोआरीजोर थाना क्षेत्र की सीमा पर पथरा गांव के निकट शुक्रवार की दोपहर मालगाड़ी की 22 बोगियां बेपटरी हो गई। इससे ललमटिया व फरक्का के बीच कोयले का संप्रेषण फिर से रुक गया है।

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बता दें ललमटिया एवं फरक्का के बीच एमजीआर रेलखंड की जर्जर स्थिति से आए दिन दुर्घटना होती रहती है। गत दिनों वन विभाग के जरिए लगाए गए ट्रांजिट शुल्क के कारण तीन दिनों तक कोयला डिस्पैच पूरी तरह बंद रहा। इस बार बेपटरी होने से एक बार फिर से कोयला संप्रेषण अगले आठ दिनों तक बाधित होने की संभावना है।

कोयला की आपूर्ति शुरू होने के बाद भी राजमहल परियोजना की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। एनटीपीसी की राजमहल परियोजना से शिकायत रहती है कि आवश्यक मात्रा में कोयला नहीं मिल रहा है। हकीकत यह है कि एनटीपीसी के जर्जर रेलखंड के कारण ज्यादा मात्रा में कोयले की सप्लाई होते ही एमजीआर रेल लाइन की स्थिति सामने आने लगती है। एनटीपीसी को इन पुरानी रेल लाइन को दुरुस्त करने की आवश्यकता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर ज्यादा मात्रा में कोयले की आपूर्ति की जा सके।

इधर राजमहल परियोजना के हवाले से बताया गया है कि एनटीपीसी के कहलगांव और फरक्का पावर प्लांट को कोयला भेजा जाता है। लेकिन इन दिनों कलहगांव प्लांट की दो इकाई बंद होने से वहां कोयला की मांग कम है। इन दिनों फरक्का प्लांट ईसीएल का बड़ा खरीददार है। एमजीआर लाइन को क्लियर होने में अभी आठ दिनों का समय लग सकता है।

बता दें कि राज्य सरकार की ओर से वनोपज नियमावली 2020 के तहत कोयला ढुलाई के एवज में अक्टूबर और नवंबर माह के लिए ट्रांजिट शुल्क के रूप में 13 करोड़ रुपये भुगतान की मांग ईसीएल से वन विभाग ने की थी। इस मामले में हाई कोर्ट से स्टे मिलने के बाद गुरुवार की शाम से कोलया ढुलाई शुरू की गई।

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एमजीआर लाइन की मरम्मत के लिए कई बार एनटीपीसी प्रबंधन को प्रतिवेदन दिया गया है। एनटीपीसी ने इसका सर्वे भी कराया, लेकिन जर्जर एमजीआर लाइन की मरम्मत नहीं हो पाई है। बोगियों की बेपटरी होने की घटना अमूमन हर दो तीन माह में हो रही है। इससे ईसीएल का कोयला भंडारण बढ़ता है तो प्रबंधन के लिए ठीक नहीं है।

- डीके नायक, प्रभारी महाप्रबंधक, राजमहल परियोजना।


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