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सिमराढाब में पानी बिना खेतों के साथ उम्मीदें भी दरकीं

आजादी के 72 वर्ष गुजर गए। कोडरमा लोकसभा व बगोदर विधानसभा क्षेत्र में कई सांसद व विधायक बने लेकिन सिमराढाब गांव में सिंचाई की व्यवस्था नहीं हो सकी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 11:05 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 06:16 AM (IST)
सिमराढाब में पानी बिना खेतों के साथ उम्मीदें भी दरकीं

सकलदेव पंडित, बिरनी (गिरिडीह): बिरनी प्रखंड मुख्यालय में रांची-दुमका मुख्य मार्ग पर स्थित है सिमराढाब गांव। कोडरमा के निवर्तमान सांसद रवींद्र राय के पैतृक गांव मरगोडा से महज आठ किमी. की दूरी पर सिमराढाब बसा है। राय दो बार क्षेत्र के विधायक व राज्य में मंत्री रहे। अभी भी इलाके के सांसद हैं, इसके बावजूद समस्याओं ने इस गांव का पीछा नहीं छोड़ा।

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सिचाई, पेयजल की उपलब्धता, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य व बिजली की सुविधा आज भी यहां के ग्रामीणों के लिए किसी सपने से कम नहीं। सूखे खेतों के साथ अब लोगों की उम्मीदों में भी दरार पड़ने लगी है। गांव से सटा जीवित नाला है। गांव तक पहुंचने के लिए चारों तरफ पक्की सड़क बनी है। दैनिक जागरण ने शुक्रवार को गांव का जायजा लिया।

सुबह के नौ बज रहे हैं। गांव पहुंचते ही सबसे पहले ग्रामीणों का कुल देवी मंडप, बजरंगबली और भगवान शिव के मंदिर के दर्शन हुए। इसके बगल में ही उत्क्रमित मध्य विद्यालय, जयप्रकाश नारायण प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय और प्लस टू उच्च विद्यालय व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। यहां एक बड़ा भवन भी बना है। पूछने पर पता चला कि यह मॉडल डिग्री कॉलेज का भवन है। इसका निर्माण काफी पहले हो चुका है, लेकिन अब तक पढ़ाई शुरू नहीं हुई है। विद्यालयों के भवन की कोई कमी नहीं है। बिजली के खंभों पर तार भी लटके हैं। कुएं व चापाकल का जलस्तर काफी नीचे चला गया है। इसका पानी पीने लायक नहीं है। लोग किसी तरह उसके पानी को छान व साफ कर पीने को विवश हैं।

वेदो महतो कहते हैं कि यहां चापाकल व कुआं होने के बाद भी पेयजल व सिचाई की समस्या है। सिचाई के लिए 10 वर्ष पूर्व लघु सिचाई विभाग ने लगभग 66 लाख की लागत से वृहत तालाब का निर्माण कराया था, लेकिन तालाब दो माह में ही टूट गया। ग्रामीण इसकी शिकायत करते रहे, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली है।

राजेश विश्वकर्मा ने गांव की समस्या के लिए सांसद रवींद्र राय को जिम्मेवार ठहराया। कहा, राय दो बार विधायक और मंत्री फिर सांसद बने, लेकिन उनके पैतृक प्रखंड में स्थित सिमराढाब की समस्या को लेकर कभी गंभीर नहीं हुए। छोटी-मोटी नौकरी के लिए यहां के युवा अपना घर-परिवार छोड़ दूसरे शहरों में रहते हैं।

अजय कुमार ने कहा कि गांव में बिजली है। पहले की अपेक्षा स्वास्थ्य सुविधा में भी सुधार हुआ है। बुधन बैठा ने सिचाई व बिजली तथा बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं मिलने का दर्द बयां किया। कहा कि प्रखंड कार्यालय के ठीक पूर्व दिशा में पांच सौ मीटर से भी कम दूरी पर विशाल डैम है। डैम का जीर्णोद्धार होने से इस गांव के अलावा आसपास के कई गांवों के हजारों किसानों को सिचाई की व्यवस्था हो जाती, लेकिन किसी को चिता नहीं है। सुनीता पंडित ने बताया कि डिजिटल युग में भी गांव में नेटवर्क की काफी समस्या रहती है। नागेश्वर विश्वकर्मा ने बताया कि पंचायत के सभी गांवों में कालीकरण व पीसीसी सड़क बनाई जा रही है। गांव की सड़कें दुरुस्त हुई हैं।


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