दो साइबर आरोपित गिरफ्तार, रांची से करते थे ठगी का कारोबार
गाडेय थाना क्षेत्र के रकसकुट्टो के समीप जमुनियाबाद बांसबाड़ी से दो साइबर अपराधी रंगे हाथ दबोचे गए।
जागरण संवाददाता, गिरिडीह: साइबर डीएसपी संदीप सुमन समदर्शी ने गुप्त सूचना पर गाडेय थाना क्षेत्र के रकसकुट्टो के समीप जमुनियाबाद बांसबाड़ी से दो साइबर अपराधियों को रंगे हाथ दबोचा। गिरफ्तार आरोपितों में एक जामताड़ा जिले के नारायणपुर थाना क्षेत्र के झिलुआ गांव निवासी प्रदीप कुमार मंडल व दूसरा गिरिडीह के गांडेय थाना क्षेत्र के रकसकुट्टो गांव निवासी प्रमचंद मंडल है। दोनों को रविवार को न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया गया, जहां से न्यायालय के आदेश पर उन्हें जेल भेज दिया गया।
पुलिस को इनके बारे में पूर्व में गिरफ्तार किए गए साइबर अपराधियों से जानकारी मिली थी। ये रांची में एक फ्लैट में रहकर साइबर अपराध को अंजाम देते थे। इसी सूचना पर डीएसपी ने रांची पुलिस से संपर्क किया। वहां से मिले इनपुट के आधार पर रकसकुट्टो गांव के समीप जमुनियाबाद बांसबाड़ी में छापेमारी की गई। पुलिस पर नजर पड़ते ही दोनों भागने लगे, जिन्हें पुलिसकर्मियों ने खदेड़कर पकड़ा।
इस संबंध में रविवार को साइबर डीएसपी ने प्रेसवार्ता कर बताया कि दोनों रांची के बरियातू क्षेत्र के रिहाइशी इलाके में किराए के फ्लैट में रहते थे। वहीं से दोनों साइबर अपराध को अंजाम दे रहे थे। होली मनाने के लिए कुछ दिन पहले ही दोनों घर आए थे, लेकिन यहां भी ठगी का धंधा नहीं छोड़ा। रकसकुट्टो में पुलिस ने दोनों को रंगे हाथ दबोचा।
12 हजार रुपये हर माह देते थे फ्लैट का किराया: पूछताछ में इन्होंने पुलिस को बताया कि रांची में प्रतिमाह 12 हजार रुपये फ्लैट का किराया देते थे। वहीं से पेटीएम अधिकारी बनकर लोगों को ठगने का काम ये करते थे। छापेमारी टीम में साइबर थाना के सहायक अवर निरीक्षक राकेश रोशन पांडेय, मंतोस कुमार महतो, मिथिलेश कुमार, प्रमोद कुमार झा, सौरभ सुमन आदि शामिल थे।
बरामद सामान: स्मार्ट फोन, साधारण मोबाइल, एटीएम, बंधन बैंक का रूपे डेबिट कार्ड, एक्सिस बैंक का वीजा प्लैटिनम आदि सामान इनके पास से पुलिस ने बरामद किया है। इसके अलावा मोबाइल में इंस्टॉल एप से भी सुराग जुटाने की कोशिश पुलिस कर रही है।
गांवों में पुलिस ने दस्तक दी तो शहरों को बनाया ठिकाना: साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए जब पुलिस ने गांवों में अभियान तेज किया तो अपराधियों ने शहरों को सेफ जोन बना लिया। पॉश इलाकों में रहने के कारण इन पर पुलिस आसानी से शक भी नहीं करती।
महज तीन माह के प्रशिक्षण से खाली कर रहे खाते: बताया जाता है कि महज तीन माह के प्रशिक्षण में एक आम युवक साइबर अपराधी में बदल जाता है। प्रशिक्षण के क्रम में ही ग्राहकों को विश्वास में लेने, फर्जी बैंक अधिकारी बनकर कॉल करने, ओटीपी हासिल करने व पलक झपकते ही खाते से रुपये गायब करने की प्रैक्टिकल जानकारी दी जाती है।