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प्रतिबंधित मजदूर संगठन के सदस्यों पर चलेगा देशद्रोह का केस

जागरण संवाददाता गिरिडीह लेवी की राशि के साथ धराए दो आरोपितों और प्रतिबंधित मजदूर सं

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 01:11 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 01:11 AM (IST)
प्रतिबंधित मजदूर संगठन के सदस्यों पर चलेगा देशद्रोह का केस
प्रतिबंधित मजदूर संगठन के सदस्यों पर चलेगा देशद्रोह का केस

जागरण संवाददाता, गिरिडीह : लेवी की राशि के साथ धराए दो आरोपितों और प्रतिबंधित मजदूर संगठन का नाम बदलकर सभा करनेवाले 13 लोगों पर देशद्रोह का केस चलेगा। इनमें डुमरी और गिरिडीह मुफस्सिल थाने का मामला शामिल है। राज्य सरकार ने इन दोनों मामलों को राष्ट्रविरोधी माना है।

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अनुसंधान रिपोर्ट और पुलिस के आवेदन का अध्ययन कर डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने राज्य सरकार से अभियोजन स्वीकृति आदेश देने की मांगी थी। राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की दी शक्तियों के आलोक में अभियोजन की मंजूरी दे दी है। जिन पर देशद्रोह का केस चलेगा उनमें डुमरी थाना के कृष्णा हांसदा और मनोज कुमार शामिल हैं। वहीं, गिरिडीह मुफस्सिल थाना क्षेत्र के के आरोपितों में प्रधान मुर्मू, मधुसूदन कोल्ह, दीनदयाल कोल्ह, कालीचरण सोरेन, रंजीत कुमार राय, गुजर राय, लखन कोल्ह, कन्हाई पांडेय, धनेश्वर कोल्ह, कोलेश्वर कोल्ह, सीताराम सोरेन और राजेंद्र कोल्ह शामिल हैं।

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लेवी के छह लाख रुपये के साथ धराए थे

डुमरी थाना के एसआइ दिनेश प्रसाद रजक ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसके अनुसार वह वरीय अधिकारियों के साथ 22 जनवरी 2018 को नक्सलियों के विरुद्ध छापेमारी को निकले थे। सुबह छह बजे अकबकी मोड़ के पास बाइक पर एक व्यक्ति आ रहा था। उसे रोक कर पूछने और कागजात मांगने से वह घबरा गया। पुलिस के सर्च करने पर उसके पास से एक लिफाफे में पांच-पांच सौ रुपये की 12 गड्डी मिली। पूछने पर बताया कि ठीकेदारों से वसूल की गई यह लेवी की राशि है। बताया कि यह राशि उसे एक व्यक्ति ने दी है। इस राशि को हार्डकोर नक्सली कृष्णा हांसदा के पास पहुंचाना है। इस का उपयोग संगठन विस्तार और हथियारों की खरीद के लिए किया जाएगा। इधर, गिरिडीह मुफस्सिल थाना क्षेत्र के मामले में थानेदार संजीव कुमार मिश्रा ने बताया था कि सरकार ने मजदूर संगठन समिति पर प्रतिबंध लगाया है। इसके बावजूद मजदूर दिवस पर इस संगठन के सदस्य प्रशासन से इजाजत लिए बगैर सभा कर रहे थे। इन्होंने संगठन का नाम बदल दिया था। पुलिस महुआटांड़ पहुची। वहां बैनर पोस्टर से मजदूर संगठन को प्रतिबंधित करने का विरोध कर रहे थे। सभा में उग्रवाद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राष्ट्रविरोधी और अमर्यादित बातें भी कही गई थीं। पुलिस ने दोनों ही मामलों को राष्ट्रविरोधी और अखंडता के खिलाफ मानते हुए सभी को आरोपित किया था।


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