तिलकुट की सोंधी खुशबू से होने लगा मकर संक्रांति का एहसास
संवाद सहयोगी, निमियाघाट (गिरिडीह): तिलकुट की सोंधी खुशबू से व्यवसायिक मंडी इसरी बाजार
संवाद सहयोगी, निमियाघाट (गिरिडीह): तिलकुट की सोंधी खुशबू से व्यवसायिक मंडी इसरी बाजार महकने लगा है। यह महक न केवल लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है, बल्कि मकर संक्रांति के आने का एहसास भी करा रही है।
डुमरी प्रखंड में जगह-जगह तिलकुट की दुकानें सज गई हैं। रात दिन बड़े पैमाने पर तिलकुट कूटने का काम शुरू हो गया है। कई वर्षो से इस व्यवसाय से जुड़े दुकानदार बासुदेव साव का कहना है कि पहले तिलकुट बिहार के गया जिले व अन्य राज्यों से मंगाकर बेचा जाता था, जो महंगा पड़ता था। जब से इसरी बाजार में तिलकुट की कुटाई का काम शुरू हुआ है, तब से कम दाम पर अच्छी गुणवत्ता का तिलकुट ग्राहकों को उपलब्ध हो रहा है।
बताया कि तिलकुट बनाने का काम 14 नवंबर से ही शुरू कर दिया जाता है। करीब एक दर्जन कारीगरों और मजदूरों से विभिन्न प्रकार के तिलकुट का निर्माण किया जाता है। औसतन एक क्विंटल से अधिक तिलकुट की बिक्री होती है। डिमांड के अनुसार इसकी पूर्ति नहीं हो पाती है। हालांकि तिल, चीनी व गुड़ की कीमत में तेजी से इसका मुनाफा घटने लगा है। साधारण तिलकुट के साथ ही खोवा भरे तिलकुट की भी बिक्री हो रही है। इसके अलावा तिलपाड़ी की भी डिमांड है। अलग अलग आकार के तिलकुट लोग संदेश देने के लिए भी खरीदते हैं।
उन्होंने बताया कि चीनी, गुड़ एवं खोवा के तिलकुट बाजार में अलग अलग भाव में मिल रहे हैं। चालू तिलकुट 220 रुपये, स्पेशल तिलकुट 300 रुपये एवं खोवा का तिलकुट 400 रूपये तक में मिल रहा है।
पारसनाथ वंदना करने आ रहे जैन यात्रियों को खूब भा रहा है यहां का तिलकुट: बताया जा रहा है कि चीनी और खोवा का तिलकुट स्थानीय लोगों के साथ साथ अन्य प्रदेशों से आनेवाले यात्रियों को भी खूब भा रहा है। जैन तिलकुट भंडार के संचालक प्रत्येश जैन व पारस जैन का कहना है कि पारसनाथ स्टेशन में विभिन्न ट्रेनों से आने जानेवाले जैन यात्री यहां का बना तिलकुट खूब पसंद कर रहे हैं। यात्री संदेश के रूप में तिलकुट पैक करा कर अपने साथ ले जा रहे हैं।