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आतंकवादियों के श्रेणी में खड़ा कर माओवादियों पर कसा शिकंजा

एक समय था जब माओवादियों के खिलाफ आम लोगों की बात छोड़िए पुलिस के डीएसपी स्तर के भी अधिकारी अदालत में गवाही नहीं देते थे। इसका नतीजा था कि जो माओवादी पकड़े भी जाते थे वे साक्ष्य के अभाव में आराम से मुकदमे से बरी हो जाते थे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 06:14 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 06:14 PM (IST)
आतंकवादियों के श्रेणी में खड़ा कर माओवादियों पर कसा शिकंजा
आतंकवादियों के श्रेणी में खड़ा कर माओवादियों पर कसा शिकंजा

गिरिडीह : एक समय था जब माओवादियों के खिलाफ आम लोगों की बात छोड़िए, पुलिस के डीएसपी स्तर के भी अधिकारी अदालत में गवाही नहीं देते थे। इसका नतीजा था कि जो माओवादी पकड़े भी जाते थे, वे साक्ष्य के अभाव में आराम से मुकदमे से बरी हो जाते थे। विस्फोटक अधिनियम एवं आतंकवाद से संबंधित धारा यूएपी में अभियोजन चलाने के लिए संबंधित जिलों के उपायुक्त की अनुशंसा जरूरी होती थी। उपायुक्त की अनुशंसा के बाद ही राज्य सरकार अभियोजन चलाने की मंजूरी देती है। लंबे समय से उपायुक्तों के पास एवं सरकार के पास ऐसे मामले लंबित थे। माओवादियों की जड़ पर हमला करने के लिए जिला वर्षों से लंबित पड़े ऐसे मामलों की अनुशंसा थोक भाव में सरकार के पास अभियोजन के लिए जिला प्रशासन कर रहा है। साथ ही जो मामले जिला स्तर पर स्वीकृति के लायक हैं उसकी स्वीकृति दी जा रही है। पिछले छह महीने के अंदर एक दर्जन से अधिक ऐसे मामलों में अभियोजन चलाने की सरकार से अनुशंसा की गई है। राज्य सरकार भी अभियोजन की स्वीकृति दे रही है। हार्डकोर माओवादियों को आतंकवादियों की श्रेणी में खड़ा कर प्रशासन कानूनी शिकंजा कस रहा है। जेल में बंद एवं बाहर जंगलों में भटक रहे माओवादियों पर यह कार्रवाई की जा रही है। एक करोड़ रुपये के इनामी एवं भाकपा माओवादी केंद्रीय कमेटी सदस्य अनल दा उर्फ पतिराम मांझी, 25 करोड़ रुपये के इनामी अजय महतो, सीमांचल जोन के कमांडर पिटू राणा, 15 लाख रुपये के इनामी संतोष महतो उर्फ संजय महतो समेत सौ से अधिक माओवादियों पर शिकंजा कसा गया है। संतोष महतो की पत्नी एवं दो लाख रुपये के इनामी नक्सली सुनीता को गिरिडीह पुलिस ने दो दिन पूर्व ही गिरफ्तार किया है।

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केस स्टडी 1

एक करोड़ रुपये के इनामी पतिराम मांझी उर्फ अनल दा, 25 लाख रुपये के इनामी अजय महतो, कृष्णा हांसदा, रणविजय दा उर्फ रणविजय महतो, नुनूचंद महतो, रामदयाल महतो उर्फ बच्चन दा एवं संतोष महतो के खिलाफ राज्य सरकार ने आतंकवाद का मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। गिरिडीह के डीसी की अनुशंसा पर सरकार ने यह मंजूरी दी है। डुमरी के झामुमो कार्यकर्ता चुड़का सोरेन को गोली मारने के मामले में माओवादियों के खिलाफ यह कार्रवाई की गई है। 14 अप्रैल 2019 को चुड़का को गोली मारी गई थी। गिरिडीह के डीसी ने डुमरी थाना में दर्ज इस मामले में उपरोक्त माओवादियों के खिलाफ यूएपी एक्ट के तहत मुकदमा चलाने की अनुशंसा राज्य सरकार से 22 अगस्त 2019 को की थी।

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केस स्टडी 2 :

राज्य सरकार ने सात लाख रुपए के इनामी नक्सली और संगठन के जोनल कमांडर नवीन मांझी उर्फ नवीन दा, साहेब राम मांझी, परमेश्वर सिंह, महुआ मांझी उर्फ बिदेश्वरी मरांडी उर्फ विजय, शिबू मांझी उर्फ शिवलाल मांझी, खेमलाल महतो उर्फ फौजी, खूबलाल महतो उर्फ खूबलाल मंडल, रामेश्वर मांझी, कानू मांझी उर्फ मंगरु मांझी, राजेंद्र महतो उर्फ राजू, मोहन मांझी, रणविजय महतो, डोडा मांझी उर्फ डोमना उर्फ लखीचंद मांझी, लउवा मांझी उर्फ सिंह, दासो मांझी और महादेव मांझी के खिलाफ आतंकवाद का मुकदमा चलाने की स्वीकृति दी है। निमियाघाट थाना क्षेत्र में भाकपा माओवादियों के सशस्त्र दस्ते ने चार सितंबर 2004 को घात लगाकर पुलिस बल पर हमला किया था। साथ ही हथियार लूट लिया था। इस मामले में कार्रवाई हुई है।

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केस स्टडी 3

25 लाख रुपये के इनामी अजय महतो उर्फ टाइगर, चूंडा मरांडी उर्फ रोहित जी, धुम्मा मरांडी, कृष्णा हांसदा, नुनूचंद महतो, बिरसेन उर्फ चंचल, साहेब राम मांझी, कल्लू उर्फ चरका मांझी, जयराम मांझी, सुनील टुडू और विश्वा उर्फ विश्वजीत मांझी के खिलाफ जिला प्रशासन ने आतंकवाद का मुकदमा चलाने की अनुशंसा सरकार से की है। माओवादियों ने 10 जून 2018 को उत्तरी छोटानागपुर में एक दिवसीय बंदी का आह्वान किया था। इस बंदी के दौरान पुलिया उड़ाने के लिए माओवादियों ने विस्फोटक जुटाया था। इस मामले में यह कार्रवाई की गई है।

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केस स्टडी 4

अजय महतो उर्फ टाइगर, नूनचंद महतो, रामदयाल महतो, संतोष महतो, अजय उर्फ पतिराम मांझी, पंकज मांझी, पवन मांझी, चिटू कसेरा, सुनील मुर्मू, करमचंद हांसदा, कृष्णा हांसदा, बलबीर हांसदा उर्फ बलबीर महतो, साहेब राम मांझी एवं रणविजय महतो के खिलाफ जिला प्रशासन ने आतंकवाद का मुकदमा चलाने की अनुशंसा सरकार से की है। सभी के खिलाफ डुमरी के दिनेश हेंब्रम की हत्या करने का आरोप है। इस मामले में पुलिस अनुसंधान में नक्सली हिसा के साक्ष्य को पाया गया है। मामला अभी सरकार के पास लंबित है।

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