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माइका उत्खनन को वैधानिक रूप देने की सरकार की पहल

जागरण टीम गिरिडीह बंद पड़े माइका खदानों से हो रहे अवैध उत्खनन को रोकने एवं इसे वैध

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 11:07 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 11:07 PM (IST)
माइका उत्खनन को वैधानिक रूप देने की सरकार की पहल
माइका उत्खनन को वैधानिक रूप देने की सरकार की पहल

जागरण टीम, गिरिडीह : बंद पड़े माइका खदानों से हो रहे अवैध उत्खनन को रोकने एवं इसे वैधानिक रुप देने के लिए सरकार ने पहल शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर खनन सचिव के श्रीनिवासन रविवार को विशेषज्ञों की टीम के साथ गिरिडीह पहुंचे। उन्होंने गिरिडीह शहर में स्थित माइका फैक्ट्रियों एवं गावां व तिसरी के माइका खदानों का मुआयना किया। उनके साथ गिरिडीह के झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू, उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा, जिला खनन पदाधिकारी सतीश नायक एवं हजारीबाग के खनन पदाधिकारी भी थे। खनन सचिव ने दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए कहा कि माइका कारोबार को विकसित करने की राज्य सरकार की योजना है। इसी योजना के तहत माइका उत्खनन को कैसे वैधानिक रूप दिया जाए, इस पर मंथन किया जा रहा है। सरकार ने इसकी योजना तैयार कर ली है। इसके लिए वन अधिनियम में संशोधन किया गया है। खनन सचिव ने गिरिडीह में चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष निर्मल झुनझुनवाला एवं माइका उद्यमियों से बातचीत की। माइका उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए माइका उत्खनन की कानूनी अनुमति देने की मांग को लेकर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष निर्मल झुनझुनवाला एवं माइका उद्यमियों की टीम के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिले थे। मुख्यमंत्री ने इस पर कार्रवाई का निर्देश खनन विभाग एवं गिरिडीह के उपायुक्त से मांगा था। इसके बाद प्रक्रिया शुरू हो गई।

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गावां: कई दशकों से बंद पड़ा गावां के बेंड्रो स्थित माइका माइंस का निरीक्षण करने रविवार को खनन सचिव के श्रीनिवासन विधायक सुदिव्य कुमार सोनू, उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा, डीएमओ सतीश नायक के साथ पहुंचे। जब वह माइका खदान पहुंचे तो माइका चुनकर लौट रहे कुछ महिला पुरुष मजदूरों से इस बाबत बात की। अधिकारियों ने मजदूरों से दिनभर में कितना ढिबरा चुनते हैं, कितना पैसा कमा लेते हैं। इस संबंध में भी जानकारी ली। मजदूरों ने कहा कि एक मजदूर दिन भर में 20 से 25 किलो ढिबरा चुनते हैं। प्रतिदिन डेढ़ सौ से दो सौ रुपये कमाई होती है। इस दौरान अधिकारियों ने उसी स्थान पर पहाड़ स्थित खदान को देखकर उसके बारे में भी पूछताछ की। मौके पर मौजूद माइका मजदूरों ने खदान के संबंध में कहा कि यहां पुराना बड़ा खदान था जो अब बंद हो गया है। यहां अगर सरकार पुन: खदान को चालू करने का कार्य करे तो फिर से माइका व्यवसाय गुलजार हो सकता है। तिसरी : खनन सचिव, उपायुक्त राहुल सिन्हा व गिरिडीह के विधायक सुदिव्य सोनू के नेतृत्व में खनन व जियोलोजिस्ट विभाग के अधिकारियों की टीम ने तिसरी में ढिबरा के कारोबार को लीगल करने को लेकर खनन क्षेत्र पंचरुखी के लोगों से मुलाकात की व उनसे विभिन्न जानकारी ली। इस दौरान जंगल झाड़ में ढिबरा चुनते लोगों से बातचीत की व ढिबरा को देखा।

बताया गया कि सीएमआइ कंपनी के समय लीगल रूप से प्रखंड में दर्जनों खदानें चलती थीं। वर्ष 1990 के बाद धीरे-धीरे कानूनी पेंच के कारण वे बंद हो गईं। खदान से जो अवशेष बाहर फेंका गया उस अवशेष को वे लोग चुनने व कोड़ने का काम करते हैं। सीएमआइ कंपनी के समय बड़ी बड़ी साइज की माइका की कीमत अधिक होती थी। ढिबरा को अवशेष के रूप में फेंक दिया जाता था।

लोगों से समस्या सुनने के बाद वे लोग वापस गावां प्रखंड की ओर लौट गए। इसके पूर्व जेएमएम प्रखंड कमेटी के कार्यकर्ताओं ने विधायक सुदिव्य कुमार सोनू का स्वागत किया गया। मौके पर पूर्व विधायक निजामुद्दीन अंसारी, बीडीओ सुनील प्रकाश, थाना प्रभारी उत्तम कुमार उपाध्याय, प्रमोद साव, विनोद बरनवाल, कारू बरनवाल, नारायण यादव, मुनीब अंसारी सहित ढिबरा व्यवसाय से जुड़े लोग व कई पुलिस के जवान मौजूद थे। विधायक सुदिव्य ने कहा कि ढिबरा से हजारों लोगों का जीवन यापन होता है। इसे लीगल करने के लिए जांच की जा रही है। नियम कानून में परिवर्तन करके गावां एवं तिसरी के गौरव को वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है।


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