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बराकर की इस धरती पर पडे़ हैं भगवान महावीर के चरण

जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने कभी बराकर तट पर भी भ्रमण किया था। न केवल भ्रमण बल्कि साधना करते हुए शाल वृक्ष के नीचे केवल ज्ञान भी प्राप्त किया था।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 11:30 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 06:48 AM (IST)
बराकर की इस धरती पर पडे़ हैं भगवान महावीर के चरण
बराकर की इस धरती पर पडे़ हैं भगवान महावीर के चरण

दीपक मिश्रा, पारसनाथ (गिरिडीह): पूरे विश्व को अहिसा परमोधर्म: तथा परस्परोपग्रहानाम् जीवानाम् जैसे संदेश समेत प्राणीमात्र के प्रति दयाभाव रखने का उपदेश देने वाले जैन धर्म के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर ने कभी बराकर तट पर भी भ्रमण किया था। न केवल भ्रमण, बल्कि साधना करते हुए शाल वृक्ष के नीचे केवल ज्ञान भी प्राप्त किया था। इसलिए यह स्थल भगवान महावीर का केवलज्ञान कल्याणक स्थल के रूप में जाना जाता है, हालांकि इस बात पर वैचारिक मतभेद है। जैन श्वेतांबर सोसायटी द्वारा संचालित एक भव्य मंदिर है जिसमें गोदुग्धासन में भगवान महावीर की प्रतिमा स्थापित है।

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बताया जाता है कि एक मत के अनुसार साधना के दौरान भगवान महावीर जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दक्षिण बराकर नदी तट पहुंचे थे। यहीं पर श्रमणावस्था में साधना करते हुए बैशाख शुक्ल दशमी के दिन नदी तट पर स्थित शालवृक्ष के नीचे गोदोहिका आसन में ध्यान करते हुए चार धाति कर्मो का क्षय किया। साढ़े बारह वर्षो की कठिन तप के बाद कैवल्यज्ञान प्राप्त कर लिया। बताते चलें कि गोदुग्धासन या गोदोहिका आसन शरीर की वह मुद्रा है जो मुद्रा गाय दुहते समय शरीर की बनती है। बराकर नदी तट के शांत वातावरण में भगवान महावीर का भव्य मंदिर है। बताते हैं कि इस तरह की प्रतिमा अपने आप में अद्वितीय है। वहीं मंदिर की दीवारों में भगवान महावीर की जीवनी से संबंधित मुख्य घटनाओं को दर्शानेवाले चित्र उकेरे गए हैं। वहीं इन चित्रों का विवरण भी अंग्रेजी व हिदी में लिखा गया है। मंदिर की सुंदरता, भव्यता व यहां का शांत वातावरण लोगों को लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है।

वहीं ठीक इससे पीछे नंदप्रभा प्रासाद ऋजुबालिका तीर्थ द्वारा एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है। बताया जाता है कि अगले तीन वर्षो में यह मंदिर बन कर तैयार हो जायेगा। इस मंदिर में भगवान महावीर की मूल प्रतिमा होगी जबकि अन्य 23 तीर्थकरों की भी प्रतिमा स्थापित होगी।

आज होगी विशेष पूजा: केवल ज्ञान कल्याणक स्थल में बुधवार को महावीर जयंती के अवसर पर विशेष पूजोपासना का आयोजन किया जायेगा। इस बाबत जैन साध्वी मणिप्रभा श्री जी महाराज की शिष्या वैराग्यनिधि श्री जी महाराज ने बताया कि स्नात्र पूजा आदि का आयोजन किया जायेगा।

भगवान महावीर के कुछ उपदेश: प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखने के साथ साथ उन्होंने कई मंगल उपदेश दिए। इनमें से कुछ मुख्य उपदेश इस प्रकार है। पहले उपदेश की बात करें तो महावीर ने कहा था कि प्राणीमात्र को अपना जीवन प्यारा है। अत: मरना कोई नहीं चाहता है। दूसरे प्राणी की रक्षा करें व दूसरे का प्राण हरने का अधिकार किसी को नहीं हैं। कशायों का शमन, विषयों का वमन तथा इंद्रियों का दमन करने से जीवन उन्नत बनता है। प्राणी अहिसा महापाप व जीव रक्षा महापुण्य है। हर आत्मा परमात्मा बन सकती है।

महावीर जयंती के आयोजन की तैयारी पूरी: जैन धर्मावलंबियों के प्रसिद्व तीर्थस्थल मधुबन में बुधवार को महावीर जयंती मनायी जायेगी जिसकी पूरी तैयारी कर ली गयी है। इस अवसर पर होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा भी तैयार कर ली गयी है। बताया जाता है कि महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक के उपलक्ष्य में महावीर जयंती मनाई जाती है। प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल त्रयोदषी को महावीर जयंती मनाई जाती है। बुधवार को भी महावीर जयंती को ले सुबह आठ बजे प्रभात फेरी निकाली जायेगी। प्रभात फेरी के बाद अणिदा पा‌र्श्वनाथ मंदिर में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा। इस क्रम में शांतिधारा, अभिशेक, पालना झुलाई आदि का आयोजन किया जायेगा। साथ ही साथ बालाचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज का प्रवचन भी होगा। जहां एक ओर सुबह धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है, वहीं संध्या में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।


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