मधुबन में फिर पसरा सन्नाटा, हजारों डोली मजदूर बेरोजगार
गिरिडीह कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए जैन तीर्थ यात्री मधुबन से वापस अपने-अपन
गिरिडीह : कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए जैन तीर्थ यात्री मधुबन से वापस अपने-अपने राज्य लौट गए हैं। इससे एक बार फिर दुनिया के सबसे बड़े जैन तीर्थस्थल मधुबन में सन्नाटा पसर गया है। इस सन्नाटे के कारण, अपने कंधों पर बैठाकर जैन तीर्थयात्रियों को पारसनाथ पहाड़ की परिक्रमा कराने वाले करीब दस हजार से अधिक डोली मजदूर फिर से बेरोजगार हो गए हैं। यह स्थिति तब है, जब मधुबन में अभी प्रसिद्ध जैन संत प्राण सागरजी महाराज एवं विशुद्ध सागरजी महाराज साधना कर रहे हैं। पिछले साल मार्च महीने में लॉकडाउन के साथ मधुबन के मंदिरों में ताला लटक गया था। मार्च से लेकर दिसंबर महीने तक मधुबन में सन्नाटा पसरा रहा। इस साल जनवरी में मधुबन के मंदिरों के खुलने से रौनक बढ़ी थी। होली के पहले से ही मधुबन में सन्नाटा छाने लगा था। होली में दुनियाभर से जैन तीर्थ यात्री यहां जुटते थे। इस बार यहां श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं जुटी। होली के बाद से एक-एक कर तीर्थयात्री यहां से निकल गए। इस तरह तीन महीने बाद फिर से मधुबन में सन्नाटा पसर गया है। तीर्थयात्रियों के यहां से जाने के कारण सबसे बुरी स्थिति में डोली मजदूर आ गए हैं। डोली मजदूर भी एक-एक कर मधुबन से अपने घर लौट गए हैं। सिर्फ आसपास के गांवों में ही डोली मजदूर रह गए हैं। डोली मजदूरों के समक्ष भुखमरी की स्थिति आ गई है। डोली मजदूर प्रकाश तुरी ने बताया कि पिछले करीब सवा साल से उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति है। पिछले करीब दो महीने तक थोड़ा बहुत काम मिला था। अब फिर लॉकडाउन वाली स्थिति आ गई है।
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अधिकांश श्रद्धालु लौट गए : सुमन सिन्हा
भारत वर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्रीय कमेटी के वरिष्ठ प्रबंधक सुमन सिन्हा ने बताया कि अधिकांश तीर्थ यात्री अपने-अपने घर लौट गए हैं। मुश्किल से ही कुछ तीर्थ यात्री यहां अभी हैं। सिन्हा ने बताया कि मात्र तीन महीने ही यहां चहल पहल रही है। फिर से सन्नाटा पसर गया है। 24 तीर्थंकरों में 20 तीर्थंकरों ने इसी पारसनाथ में निर्वाण प्राप्त किया था। इस कारण जैन धर्म के लोगों के लिए यह विशेष तीर्थस्थल है।
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इन धर्मशालाओं में रहता है तीर्थयात्रियों का जमावड़ा :
जैन तीर्थ स्थल मधुबन में धर्मशालाओं की लंबी कतार लगी हुई है। विभिन्न संस्थाओं ने अपने-अपने धर्मशालाओं का यहां निर्माण किया है। इन धर्मशालाओं में विभिन्न प्रांतों से आए हजारों तीर्थ यात्री ठहरते हैं और पारसनाथ पर्वत की वंदना करते हैं। इन धर्मशालाओं में 20 पंथी, 13 पंथी, जैन श्वतेतांबर सोसाइटी, निहारिका भवन, प्रकाश भवन, धर्म मंगल विद्यापीठ, तलेटी तीर्थ आदि प्रमुख हैं।