Move to Jagran APP

बगैर सूचना के कार्यालय से अनुपस्थित रहते बीपीओ, शोकाज

संवाद सहयोगी गिरिडीह सदर प्रखंड के प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी भीखदेव पासवान पर एक माह

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 06:55 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 06:55 PM (IST)
बगैर सूचना के कार्यालय से 
अनुपस्थित रहते बीपीओ, शोकाज
बगैर सूचना के कार्यालय से अनुपस्थित रहते बीपीओ, शोकाज

संवाद सहयोगी, गिरिडीह : सदर प्रखंड के प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी भीखदेव पासवान पर एक माह के अंदर कई तरह के विभागीय आरोप लगते रहे है। कई बार उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है और अर्थदंड भी लगाया गया है। मनरेगा अधिनियम के तहत अर्थदंड बीपीओ के अलावा ग्राम पंचायत खावा, पहाड़पुर व सिदवरिया के प्रधान कार्यकारी समिति, पंचायत सचिव, ग्राम रोजगार सेवक पर भी लगाया गया था। ताजा मामला बीपीओ के बगैर सूचना के कार्यालय से अनुपस्थित रहने का है। हालांकि सोमवार को कार्यालय आने की बात कही जा रही है लेकिन उनका मोबाइल बंद बता रहा है। इस बारे में प्रखंड विकास पदाधिकारी दिलीप महतो ने पंद्रह जनवरी को पत्र जारी कर बीपीओ से स्पष्टीकरण मांगा है।

loksabha election banner

पत्र में बीडीओ ने लिखा है कि विगत चार दिनों से लगातार बीपीओ अनुपस्थित रह रहे हैं। दूरभाष पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो मोबाइल बंद पाया गया। इसके पूर्व भी कई बार देखा गया है कि आप बिना सूचना के कार्यालय से अनुपस्थित रहते हैं जो आपकी स्वेच्छाचारित, हठधर्मिता व मनमाने रवैया का परिचायक है। यह पत्र जारी करते हुए बीडीओ ने उन्हें 24 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण समर्पित करने का आदेश दिया है।

इस संबंध में बीडीओ दिलीप महतो ने सोमवार को बताया कि बीपीओ चार दिनों से अनुपस्थित थे। सोमवार को वे कार्यालय में उपस्थित हुए है और विभागीय कार्य से क्षेत्र गए हुए हैं। बीपीओ ने अभी कुछ जवाब नहीं दिए हैं। इस बारे में सोमवार को पक्ष लेने के लिए बीपीओ से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका मोबाइल लगातार बंद बता रहा है।

मनरेगा में घालमेल को जानें तो आठ दिसंबर को बीडीओ ने बीपीओ को पत्र जारी कर कहा था कि मनरेगा एक मजदूरी परक योजना है। इसमें मजदूरी पर आधारित योजनाओं का माडल प्राक्कलन के अनुरूप क्रियान्वयन कराया जाता है। लेकिन पंचायत खावा में माडल प्राक्कलन की योजनाओं में मजदूरी व सामग्री के अनुपात को विकृत करते हुए मनरेगा संबंधी कार्य कराया जा रहा है। जारी पत्र में लिखा गया है कि मेड़बंदी योजना पूर्णत: मजदूरी परक योजना है, लेकिन छह दिसंबर के एमआइएस प्रतिवेदन से परिलक्षित हो रहा है कि उस योजना में सामग्री का भुगतान किया गया है जो मनरेगा अधिनियम के अनुकूल नहीं है। इसे आपराधिक षडयंत्र तथा वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आने की बात कहते हुए बीडीओ ने बीपीओ से स्पष्टीकरण की मांग की थी। इस मामले में पंचायत खावा के कार्यकारी प्रधान, पंचायत सचिव, रोजगार सेवक, कनीय अभियंता से भी स्पष्टीकरण की मांग की गई थी।

जबकि बीते तीस दिसंबर को उप विकास आयुक्त सह जिला कार्यक्रम समन्वयक ने पत्र जारी कर खावा, पहाड़पुर व सिदवरिया पंचायत के प्रधान, कार्यकारी समिति, प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी, पंचायत सचिव, ग्राम रोजगार सेवक पर मनरेगा अंतर्गत चालू योजना में प्राक्कलित राशि से अधिक राशि व्यय करने का आरोप लगाते हुए सभी से स्पष्टीकरण की मांग की गई थी साथ ही सभी पर मनरेगा अधिनियम के तहत एक- एक हजार रुपये अर्थदंड लगाया गया था। उपरोक्त सभी मामलों पर गौर करने पर निष्कर्ष निकलता है कि मनरेगा में घालमेल किया जा रहा है। अगर विभागीय स्तर पर सभी कार्यो की निष्पक्ष जांच कराई जाए तो कई चौंकाने वाले मामले सामने आ सकते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.