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पहले दिखाई होती गंभीरता तो नहीं आती फाय¨रग की नौबत

गिरिडीह : सरिया के मोकामो में मंदिर निर्माण को लेकर उत्पन्न सांप्रदायिक तनाव के मामले में प

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 08:48 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 08:48 AM (IST)
पहले दिखाई होती गंभीरता तो नहीं आती फाय¨रग की नौबत
पहले दिखाई होती गंभीरता तो नहीं आती फाय¨रग की नौबत

गिरिडीह : सरिया के मोकामो में मंदिर निर्माण को लेकर उत्पन्न सांप्रदायिक तनाव के मामले में प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई। शुरू में प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया। यही वजह है कि करीब दो साल से चल रहे विवाद को निष्पादन नहीं किया जा सका है। दो साल तक भू-स्वामी एसडीओ के पास मंदिर बनवाने में सहयोग के लिए चक्कर काटता रहा। अगर पूर्व में ही मामले को निपटा लिया गया होता, तो आज फाय¨रग करने की नौबत नहीं आती और न ही विवाद इतना बड़ा रूप लेता।

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दो साल पूर्व शुरू किया था मंदिर निर्माण :

बता दें कि अल्पसंख्यक बहुल गांव मोकामो में बासुदेव मिस्त्री अपनी जमीन पर दो साल पूर्व विश्वकर्मा भगवान का मंदिर बनवा रहा था, जिस पर दूसरे समुदाय के लोगों ने रोक लगा दी। इसके बाद मिस्त्री ने सरिया-बगोदर एसडीओ को आवेदन देकर मंदिर निर्माण कराने में सहयोग की मांग की, लेकिन एसडीओ ने इस पर कोई पहल नहीं की। प्रशासन की उदासीनता को देखते हुए मिस्त्री ने दो माह पूर्व मंदिर निर्माण के लिए पिलर दिलाना शुरू किया। इस बार भी दूसरे समुदाय के लोगों ने मंदिर बनाने से मना करते हुए पिलर को तोड़ दिया। इसे लेकर मिस्त्री ने एक दर्जन लोगों के विरुद्ध सरिया थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई। साथ ही एक बार फिर एसडीओ को आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की।

प्रशासन ने लगाई थी निषेधाज्ञा :

दोनों समुदाय के बीच उत्पन्न तनाव को देखते हुए एसडीओ ने उक्त गांव में शनिवार से निषेधाज्ञा लागू कर दी है। बावजूद अपनी घोषणा के अनुसार लोग मंदिर निर्माण कराने के लिए गांव में इकट्ठा होने लगे। देखते ही देखते सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। लोग नारेबाजी करते हुए मंदिर निर्माण करने पर अड़े थे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हवाई फाय¨रग करनी पड़ी। पुलिस ने लाठी चार्ज की और अश्रुगैस भी छोड़ी। लोगों का कहना है कि मोकामो में विवाद को बढ़ाने में सबसे अधिक जिम्मेवार प्रशासन है। भू-स्वामी ने जिस समय आवेदन दिया था, उसी समय यदि इसे गंभीरता से लिया गया होता तो आज ऐसी नौबत नहीं आती। प्रशासन ने इसे हल्के में लिया, जिस कारण मामले ने इतना विकराल रूप ले लिया।

शांति समिति की बैठक में उठा था मामला :

बताते चलें कि ईद को ले गत दिन संपन्न जिला स्तरीय शांति समिति की बैठक में भी उक्त मामला उठा था। तब उपायुक्त मनोज कुमार ने कहा था कि अगर वहां एक ईंच भी सरकारी जमीन निकली तो किसी भी सूरत में मंदिर का निर्माण नहीं होने दिया जाएगा, लेकिन यदि जमीन निजी है तो मंदिर बनाने से कोई रोक भी नहीं सकता।


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