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सनातन धर्मावलंबियों का पूरा होगा बहुप्रतिक्षित सपना

पांच अगस्त को सनातन धर्मावलंबियों की एक बहुप्रतीक्षित सपना पूरा होने जा रहा है और अयोध्या में राममंदिर निर्माण कार्य का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कर कमलों द्वारा होना सुनिश्चित हुआ है लेकिन इस दिन के लिए सनातन धर्मावलंबियों की ना जाने कितनी पीढि़यां गुजर गई परंतु आखिरकार देश की सुप्रीम कोर्ट लंबी दलीलें सुनने व सबूतों का अध्ययन करने के बाद अपने ऐतिहासिक निर्णय में राममंदिर निर्माण कार्य शुरू करने का फैसला सुनायानिर्णय के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 04:34 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 04:34 PM (IST)
सनातन धर्मावलंबियों का पूरा होगा बहुप्रतिक्षित सपना
सनातन धर्मावलंबियों का पूरा होगा बहुप्रतिक्षित सपना

डुमरी (गिरिडीह) : पांच अगस्त को सनातन धर्मावलंबियों का एक बहुप्रतिक्षित सपना पूरा होने जा रहा है। अयोध्या में राममंदिर निर्माण कार्य का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा होना सुनिश्चित हुआ है। इस दिन के लिए सनातन धर्मावलंबियों की ना जाने कितनी पीढि़यां गुजर गई परंतु आखिरकार देश की सुप्रीम कोर्ट ने लंबी दलीलें सुनने व सबूतों का अध्ययन करने के बाद अपने ऐतिहासिक निर्णय में राममंदिर निर्माण कार्य शुरू करने का फैसला सुनाया। इसके बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। राममंदिर निर्माण कार्य के शिलान्यास कार्यक्रम पर खुशी जाहिर करते हुए बीते 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में घटित हुई घटना में सहभागी रहे क्षेत्र के कारसेवकों प्रशांत जायसवाल, कैलाश पंडित, राजेंद्र अग्रवाल राजू, आनंद बरनवाल, हेमलाल महतो, सतीश कुमार गुप्ता आदि ने कहा कि 5 अगस्त सभी कारसेवकों, राममंदिर निर्माण आंदोलन से जुड़े साधु संतों व सनातन धर्मावलंबियों के लिए स्वर्णिम दिन होगा। उक्त कारसेवकों ने बताया कि वे लगभग दो दर्जन लोग धनबाद लुधियाना एक्सप्रेस ट्रेन से अपने साथ खाने के लिए सत्तू, चुड़ा व लिट्टी लेकर चार दिसंबर 1992 को अयोध्या के लिए रवाना हुए थे। बताया कि 6 दिसंबर को अयोध्या घटना में शहीद हुए कारसेवकों की परिकल्पना साकार होने जा रही है। उक्त लोगों ने बताया कि श्रीराम संसार के कण-कण में विराजमान हैं और उनके मंदिर निर्माण को 2014 तक बेवजह लटकाया गया था। सच्चाई की जीत अवश्य होती है जो सभी सनातनियों को देश की सबसे बड़ी अदालत से आखिरकार मिल ही गई। उक्त लोगों ने कहा कि श्रीराम इंसानियत, मर्यादा तथा न्याय के प्रतीक हैं, लेकिन देश के कतिपय पॉलिटिकल लोगों ने मंदिर निर्माण में विविध तरह के रोड़े अटकाकर रामलला को टेंट में रहने को मजबूर किया। लोगों ने पांच अगस्त को देशवासियों के साथ-साथ विभिन्न देशों में रहनेवाले सनातन धर्मावलंबियों से अपने घरों में दीप जलाने एवं भजन-कीर्तन कर श्रीराम के प्रति श्रद्धा प्रदर्शित करने की अपील की है।

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