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सभी धर्मग्रंथों की जननी गीता

इसके पहले रविवार को उक्त स्थल पर ही कार्यक्रम की शुरूआत की गई जिसमें मछ्वागवत गीता का सस्वर पाठ सामूहिक रूप से किया गया। इसमें कुल तीन सौ एक लोगों ने भाग लिया। इसे लेकर मंदिर परिसर एवं पाठस्थल को आकर्षक रूप से फूलों एवं आम के पत्तों से सजाया

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 06:10 PM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 06:10 PM (IST)
सभी धर्मग्रंथों की जननी गीता
सभी धर्मग्रंथों की जननी गीता

गिरिडीह : सिहोडीह में स्थित कबीर ज्ञान मंदिर में सोमवार सुबह हवन के साथ ही दो दिवसीय गीता जयंती का समापन किया गया। गीता के अर्थसहित दिव्य मंत्रोच्चार के साथ मां ज्ञान के दिशा निर्देश पर उपस्थित तीन सौ एक व्रतियों ने हवन किया। इससे संपूर्ण वातावरण अपूर्व शांति से भर गया। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि भगवान श्री कृष्ण मां ज्ञान के मुख से उपस्थित श्रद्धालुओं को गीता अमृत का पाठ करा रहे हों। स्तुति, आरती, जयकार और प्रसाद वितरण के साथ ही यज्ञ का समापन किया गया। इसकी पूर्णाहुति पर मां ज्ञान ने गीता की महत्ता बताते हुए कहा कि भले ही चाचा चाची अनेक हों, भले ही भाई बहन अनेक हों, संतान अनेक हों, मित्र बंधु अनेक हों परंतु मां एक ही होती है एवं पिता एक ही होते हैं। उसी तरह अनेक धर्मग्रंथ हों पर सबकी जननी एक गीता ही हैं। गीता अद्वितीय है और इसके समान कुछ नहीं है। जो गीता के ज्ञान को धारण ना कर सकें वे अभागे हैं। इसके पहले रविवार को उक्त स्थल पर ही कार्यक्रम की शुरूआत की गई जिसमें भागवत गीता का सस्वर पाठ सामूहिक रूप से किया गया। इसमें कुल तीन सौ एक लोगों ने भाग लिया। इसे लेकर मंदिर परिसर एवं पाठस्थल को आकर्षक रूप से फूलों एवं आम के पत्तों से सजाया गया था।

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