Move to Jagran APP

पाप का नष्ट करने वाला और सुख का उत्पादक है आर्जव धर्म: आचार्य

संवाद सहयोगी, मधुबन (गिरिडीह): आर्जव धर्म मन को स्थिर करने वाला है, पाप को नष्ट करने वाला

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 06:14 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 06:14 PM (IST)
पाप का नष्ट करने वाला और सुख का उत्पादक है आर्जव धर्म: आचार्य
पाप का नष्ट करने वाला और सुख का उत्पादक है आर्जव धर्म: आचार्य

संवाद सहयोगी, मधुबन (गिरिडीह): आर्जव धर्म मन को स्थिर करने वाला है, पाप को नष्ट करने वाला है और सुख का उत्पादक है। इसलिए इस भाव में इस आर्जव धर्म को आचरण में लाएं। उसी का पालन करें और उसी का श्रवण करें, क्योंकि वह भाव का क्षय करने वाला है। जैसा अपने मन में विचार किया जाए, वैसा ही दूसरों से कहा जाए और वैसा ही कार्य किया जाए। इस प्रकार से मन, वचन व काया की सरल प्रवृत्ति का नाम ही आर्जव है। ये बातें आचार्य विराग सागर जी महाराज ने दशलक्षण पर्व के तीसरे दिन रविवार को अपने प्रवचन में कही।

loksabha election banner

दशलक्षण महापर्व के दसों लक्षणों को अपने जीवन में समाहित करने हेतु जप, तप व अनुष्ठान करते हुए आचार्य के विराट संघ के पावन सान्निध्य में ज्ञान की गंगा में डुबकी लगाते हजारों श्रावकों ने देश के विभिन्न प्रांतों से आकर सम्मेद शिखरजी की पावन भूमि पर आर्जव धर्म पर विशेष ज्ञान अर्जित किया। मंगल प्रवचनों के ज्ञानरूपी गंगा की वात्सल्य रूपी मधुर ध्वनि से श्रावकों का ध्यान आकर्षित करते हुए आचार्य महाराज कहते हैं कि मन से माया शल्य को निकालकर पवित्र आर्जव धर्म का विचार करें क्योंकि मायावी पुरुष के व्रत और तप सब निरर्थक हैं। यह आर्जव भाव ही मोक्षपुरी का सीधा उत्तम मार्ग है। विश्व की सभी बुराइयों का घर है मायाचारी। मायाचारी तभी की जाती है जब किसी के चंगुल से छूटना हो या किसी को चंगुल में फंसाना हो। मायाचारी छोड़ मन में सरलता धारण करें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.