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शिकायत पर विभाग से मिली जानकारी से संतुष्ट नहीं

बिरनी (गिरिडीह) बिरनी प्रखंड के खाद्य आपूर्ति विभाग में हो रही अनियमितता व सड़ रहे गरी

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 05:15 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 05:15 PM (IST)
शिकायत पर विभाग से मिली जानकारी से संतुष्ट नहीं
शिकायत पर विभाग से मिली जानकारी से संतुष्ट नहीं

बिरनी (गिरिडीह) : बिरनी प्रखंड के खाद्य आपूर्ति विभाग में हो रही अनियमितता व सड़ रहे गरीबों के अनाज के बारे में राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो के राष्ट्रीय महासचिव राजेंद्र प्रसाद वर्मा ने पीजीएमएस पोर्टल पर भारत सरकार से शिकायत कर संबंधित जानकारी मांगी थी। इसमें प्रखंड आपूर्ति कार्यालय से जानकारी दी गई है, पर उससे वह संतुष्ट नहीं हैं। कहा कि खाने को दाना नहीं है? और रखे-रखे अनाज सड़ रहा है। झरखी के लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की ओर से संचालित पीडीएस दुकान सह बाराडीह के निवर्तमान पंचायत समिति सदस्य के पति अबुल अंसारी के घर में रखा गरीब कार्डधारियों का लगभग बीस क्विटल चावल व किरासन तेल खराब हो रहा है। मंझिलाडीह में एक व्यवसायी के निजी गोदाम से एसडीएम ने 437 बोरा एफसीआइ का चावल जब्त किया था जो बिना सील किए अब तक वहीं पड़ा है। डीलर ने एक माह का अनाज देकर दो माह का अंगूठा डीबीटी मशीन में लगवा लिया है। विभाग ने इन सभी का जांच प्रतिवेदन जो उपलब्ध कराया है, वह गलत है। जिस तरह की शिकायत की गई थी उस पर विभाग ने अपना पल्ला झाड़कर खानापूर्ति करते हुए जवाब दिया है। जो चावल व किरासन खराब हो रहा है, उसमें न्यायालय में मुकदमा चल रहा था जो दो साल पूर्व समाप्त हो गया। अब जवाब दिया जा रहा है कि चावल सड़ गया है और खाने लायक नहीं है। इसका कौन है? दोषी और क्या उन पर विभागीय कार्रवाई हुई है। इसी तरह से एसडीएम ने एफसीआइ के चावल जब्ती मामले में विभाग ने व्यवसायी पर मुकदमा दर्ज कराया है, लेकिन वह चावल व्यवसायी के निजी गोदाम में क्यों रखा है? विभाग ने जब्त चावल को सरकारी गोदाम में क्यों नहीं लाया है? जब थाना में मुकदमा हुआ है? तो थानेदार का फर्ज है? कि निजी गोदाम से उसे जब्त कर थाना लाएं, लेकिन कहीं से भी ठोस कार्रवाई नहीं होती दिख रही है। कहा कि विभाग ने जो जांच रिपोर्ट दी है? उससे वह संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने विभाग से पुन: संतोषप्रद जवाब देने की मांग की है। कहा कि जवाब अगर संतोषजनक नहीं मिला तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को बाध्य होंगे।

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