तड़प कर मर गया बच्चा, अस्पताल प्रबंधन को नहीं आई दया
गिरिडीह : सदर अस्पताल की लापरवाही के कारण सोमवार रात करीब आठ बजे महेशमुंडा गांडे
गिरिडीह : सदर अस्पताल की लापरवाही के कारण सोमवार रात करीब आठ बजे महेशमुंडा गांडेय निवासी गोखुल तुरी के पांच साल के बेटे मंटू तुरी की जान चली गई। बच्चा दिन भर तड़पता रहा लेकिन डॉक्टरों की संवेदनशीलता नहीं जगी। नतीजतन इलाज के अभाव में उसने दम तोड़ दिया। मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन को होश आया और फिर शुरू हो गया एक-दूसरे को जिम्मेवार ठहराने का खेल। बताया जाता है कि उसे खून चढ़ाने की दरकार थी।
बच्चे के पिता केराडीह, महेशमुंडा गांडेय निवासी गोखुल तुरी ने बताया कि उसने बीमार बेटे को लेकर सदर अस्पताल आया था। बेटा दस दिनों से बीमार था। उसे बुखार था। इसका इलाज पहले स्थानीय एक चिकित्सक से कराया। सोमवार को उसने सदर अस्पताल ले जाने की सलाह दी। इधर, इलाज करनेवाले डॉ. संदीप कुमार ने बच्चे की मौत के लिए एसआरएल को जिम्मेदार ठहराया। कहा कि बच्चे को उसके पिता पौने एक बजे अस्पताल लेकर आए। बच्चे की स्थिति गंभीर होने के कारण उसे भर्ती कर लिया गया। कई जांच कराने का निर्देश दिया गया। अस्पताल परिसर में संचालित एसआरएल में कराने के लिए बच्चे के खून का सैंपल ले लिया गया था पर शाम तक उसकी जांच की रिपोर्ट नहीं आने से प्रोपर वे में इलाज नहीं हो सका। बगैर जांच रिपोर्ट के खून चढ़ाना संभव नहीं है। वहीं, एसआरएल के प्रभारी डॉ. अबू कासीब का कहना है कि बच्चे में खून की कमी थी। मरीज के अटेंडेंट को बता दिया गया था। चिट्ठा से पता नहीं चल पाता है कि किस चिकित्सक ने जांच लिखी है। डॉक्टर संदीप व उनके किसी कर्मी ने रिपोर्ट के लिए संपर्क नहीं किया था।
इधर, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. बीएन झा ने बताया कि बच्चे की मौत खून की कमी से हुई है। इसमें अस्पताल प्रबंधन का कोई दोष नहीं है। इसके लिए एसआरएल जिम्मेवार है। साथ ही परिजन उसे झाड़-फूंक कराने के बाद काफी विलंब से अस्पताल में भर्ती कराया।