अनुसूचित जाति को मतदाताओं को साधना भाजपा के लिए चुनौती
दिलीप सिन्हा गिरिडीह लोकसभा चुनाव की भले ही अभी अधिसूचना जारी नहीं हुई है लेकिन राज
दिलीप सिन्हा, गिरिडीह: लोकसभा चुनाव की भले ही अभी अधिसूचना जारी नहीं हुई है लेकिन राजनीतिक पार्टियां चुनावी मैदान में ताल ठोंकने लगी है। एक तरह भाजपा है तो दूसरी तरफ भाजपा के विरोध में महागठबंधन। आमने-सामने की लड़ाई के लिए पिच तैयार हो चुका है। लेकिन सूबे का कोडरमा एकमात्र ऐसी सीट है जहां लड़ाई आमने-सामने नहीं बल्कि त्रिकोणीय होगी। एक ओर भाजपा अपनी सीट बचाने की कोशिश करेगी तो दूसरी ओर अपनी पुरानी सीट में वापसी के लिए झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। वहीं भाकपा माले ने तो अपनी पूरी पूंजी इसी कोडरमा सीट पर लगा दी है। ऐसे में जाति से लेकर धार्मिक आधार पर भी गोलबंदी की कोशिशें अभी से शुरू हो गयी है।
इस राजनीतिक वातावरण में प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रवींद्र कुमार राय के समक्ष दुबारा दिल्ली जाने के लिए दलित वोटरों को साधने की बड़ी चुनौती है। दलित वोटरों को साधने के उनके रास्ते में रोड़ा बनकर माले एवं झाविमो खड़ी है। माले जहां खुलकर दलित कार्ड खेल रही है वहीं झाविमो को महागठबंधन का भरोसा है। महागठबंधन के कारण दलित वोट मिलने की उम्मीद झाविमो पाले हुए है। रैदास जयंती में दो समुदाय के बीच भिडंत को माले मुद्दा बनाने में
कोई कसर नहीं छोड़ रही है। वहीं भाजपा एवं झाविमो इस विवाद को मुद्दा बनाने के पक्ष में नहीं है। भाजपा केंद्र एवं राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के सहारे दलितों को साधने की कोशिश कर रही है। शनिवार को राजधनवार के डोरंडा में भाजपा कोडरमा लोकसभा अनुसूचित जाति मोर्चा का सम्मेलन कर दलितों को साधने की रणनीति बनाएगी। दलितों को रिझाने के लिए पार्टी के दो प्रमुख दलित नेता पलामू के सांसद बीडी राम एवं मंत्री अमर बाउरी को इस सम्मेलन में विशेष तौर पर सांसद डॉ. रवींद्र कुमार राय ने आमंत्रित किया है। भाजपा के संगठन मंत्री धर्मपालजी इस मौके पर चुनावी टिप्स देंगे। प्रदेश भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के उपाध्यक्ष अर्जुन बैठा की मानें तो दलित समाज पूरी तरह से भाजपा के साथ खड़ा है। भाजपा एवं सांसद रवींद्र कुमार राय ने दलितों के लिए जो कार्य किया है, वह एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि आज के समय में दलित भाजपा के साथ हैं। इस वोटबैंक पर न तो झाविमो का कोई प्रभाव है और न ही माले का। वहीं माले के जिला सचिव मनोज भक्त का कहना है कि दलित समाज के लोग माले के स्वाभाविक वोटर हैं। दलितों की लड़ाई सिर्फ माले ही लड़ती रही है।
चुनावी गणित बना-बिगाड़ सकते हैं दलित समाज के वोटर: कोडरमा लोकसभा क्षेत्र के चुनाव परिणाम बनाने और बिगाड़ने में दलित समाज की बड़ी भूमिका हो सकती है। इस लोस सीट के छह विधानसभा सीट में से एक जमुआ दलितों के लिए आरक्षित हैं। इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। यहां माले एवं झाविमो दोनों भाजपा को चुनौती देती है। इसके अलावा गांडेय, बगोदर, राजधनवार एवं बरकट्ठा विस क्षेत्र में भी दलितों की बड़ी आबादी है। यही कारण है कि भाजपा, झाविमो एवं माले तीनों अनुसूचित जाति मोर्चा का सम्मेलन कर दलितों को साधने की कोशिश कर रही है।
सम्मेलन को सफल बनाने का निर्णय: धनवार टाउन हॉल में भाजपा की बैठक शुक्रवार को हुई। पार्टी नेता सुरेंद्र राय, •िाला महामंत्री बसंत भोक्ता, कोर कमेटी सदस्य संजय साव व उदय ¨सह आदि ने कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विशेष दिशा निर्देश दिया। इस दौरान संगठनात्मक कार्यों को लेकर भी विस्तृत चर्चा हुई। 23 ़फरवरी को डोरंडा में होनेवाले भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के सम्मेलन को सफल बनाने का निर्णय लिया गया। अध्यक्षता मंडल अध्यक्ष मुकेश साहा ने की। इस दौरान मंडल अध्यक्ष महेंद्र चौधरी, बिनोद शर्मा, सिराज राम, सांसद प्रतिनिधि अभिमन्यु शर्मा, अनिल राय, भाजपा महामंत्री विवेक विकास, सुनील साव, शशिभूषण पांडेय, नारायण विश्वकर्मा, शैलजा ¨सह, नंदकिशोर बरनवाल, संजय ¨सह, ¨पटू पासवान आदि थे।