गिरिडीह में पर्यटन स्थल दूर करेगी बेरोजगारी
कोरोना संक्रमण को लेकर पूरे देश में दो महीने से अधिक समय से लागू लॉकडाउन ने रोजगार का संकट उत्पन्न कर दिया है। इस महामारी के दौर में गिरिडीह के हजारों युवकों के रोजगार के साधन छीन गए हैं। अब सभी बेरोजगारी के दंश झेलने को विवश हैं।
ज्ञान ज्योति, गिरिडीह : कोरोना संक्रमण को लेकर पूरे देश में दो महीने से अधिक समय से लागू लॉकडाउन ने रोजगार का संकट उत्पन्न कर दिया है। महामारी के दौर में गिरिडीह के हजारों युवकों के रोजगार के साधन छिन गए हैं। अब सभी बेरोजगारी के दंश झेलने को विवश हैं।
वर्तमान परिस्थिति में बेरोजगार हुए सभी युवाओं को रोजगार देना सरकार के लिए बड़ी चुनौती तो है, लेकिन नामुमकिन नहीं। जिले में रोजगार के कई साधन हैं, जिनमें काफी संख्या में लोगों को रोजगार मिल सकता है। पर्यटन के क्षेत्र में भी यहां रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। जिले में कई ऐसे स्थल हैं, जिन्हें पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा सकता है। इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति भी होगी, जिससे अपने राज्य और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की जा सकती है।
वाटर फॉल :
गिरिडीह-टुंडी रोड मे़ं जिला मुख्यालय से करीब 12 किमी. दूर गंगापुर में वाटर फॉल स्थित है। चारों ओर जंगलों से घिरा यह स्थल काफी रमणिक और मनोरम है। पूरे झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों से पर्यटक यहां पहुंचते हैं। खासकर नव वर्ष के आगमन और छुट्टी के दिनों में सैलानी परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ यहां पहुंचते हैं। सभी यहां की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद उठाते हैं।
खंडोली डैम :
जिला मुख्यालय से करीब 9 किमी. दूर खंडोली डैम अवस्थित है। गिरिडीह-मधुपुर मुख्यमार्ग से लगभग 3 किमी. हटकर शांत और एकांत वातावरण में यह डैम है। यहीं से पूरे शहर को पेयजल की आपूर्ति की जाती है। हाल के वर्षों में इसने पर्यटन स्थल के रूप में भी अपनी पहचान बनाई है। विशाल भू-भाग में फैले डैम में बोटिग की व्यवस्था यहां की मुख्य खासियत है। चिड़ियां घर, पार्क, बच्चों के लिए तरह-तरह के झूले जैसी सुविधाएं भी यहां हैं, जो सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यही वजह है कि सालों भर यहां पर्यटकों के आने का सिलसिला लगा रहता है। झारखंड सहित कई राज्यों से प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक यहां पहुंचते हैं।
झारखंडधाम :
जिला मुख्यालय से लगभग 55 किमी. दूरी पर झारखंडधाम स्थित है। ऐसे तो यह धार्मिक स्थल है। छत विहीन शिव मंदिर यहां की विशेषता है। गिरिडीह और झारखंड सहित कई राज्यों से यहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं। प्रति वर्ष यहां बाबा के दरबार में सैकड़ों जोड़े परिणय सूत्र में भी बंधते हैं। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकता है।
सूर्य मंदिर मिर्जागंज :
गिरिडीह से लगभग 40 किमी. की दूरी पर मिर्जागंज में सूर्य मंदिर स्थित है। जमुआ से देवघर जानेवाले रास्ते में ठीक मुख्य सड़क के किनारे यह मंदिर है। बीच तालाब में निर्मित इस मंदिर की भव्यता और सुंदरता इसकी पहचान है। यह सैलानियों और श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। यहां हर साल हजारों लोग पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं में झारखंड के विभिन्न जिलों के साथ-साथ बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों के श्रद्धालु होते हैं।
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- दूसरे प्रदेशों और शहरों में रहकर रोजगार करना काफी मुश्किल काम है, लेकिन घर-परिवार के लिए जाना पड़ता है। सरकार और प्रशासन अगर अपने ही राज्य व जिला में रोजगार उपलब्ध कराए तो बाहर नहीं जाएंगे।
भागीरथ वर्मा, प्रवासी मजदूर, बेंगाबाद
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अपने राज्य और जिला में रोजगार नहीं मिलने के कारण विवश होकर दूसरे प्रदेशों की ओर रुख करना पड़ता है। रोटी के बाहर जाकर काम करना हमारी विवशता है। सरकार हमारे लिए अपने ही जिला में रोजगार की व्यवस्था करे। अब बाहर जाने का मन नहीं करता है।
दशरथ शर्मा, प्रवासी मजदूर, बेंगाबाद
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झारखंड में संसाधनों की कमी नहीं है। खनिज संपदा से भरे इस राज्य में रोजगार के साधन नहीं होना दुर्भाग्य की बात है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। सरकार हमारे लिए रोजगार की व्यवस्था करेगी तो हम कमाने के लिए बाहर नहीं जाएंगे। अपने ही जिला और राज्य में काम करेंगे।
सुखदेव दास, प्रवासी मजदूर, जमुआ
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दूसरे प्रदेशों में जाकर काम करने की ईच्छा अब नहीं है। घर में ही परिवार के साथ रहकर काम करना चाहते है, ताकि फिर ऐसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। सरकार हमें अपने जिला में ही रोजगार मुहैया कराए।
शिवशंकर कुशवाहा, जमुआ