प्रधानाध्यापक की कुर्सी को ले जोड़तोड़ का केंद्र बना उच्च विद्यालय
खोरीमहुआ (गिरिडीह) धनवार प्रखंड का लाटो नायक उच्च विद्यालय नावागढ़चट्टी एक बार फिर
खोरीमहुआ (गिरिडीह) : धनवार प्रखंड का लाटो नायक उच्च विद्यालय नावागढ़चट्टी एक बार फिर से कुर्सी की लड़ाई का केंद्र बन गया है। अनुदान पर आठवीं से दसवीं तक चल रहे इस विद्यालय के शिक्षण व्यवस्था पर अब फिर से खतरा मंडराने लगा है। पिछले कुछ वर्षो से देखें तो यह विद्यालय बच्चों को शिक्षा देने में कम और शिक्षकों के बीच चल रहा आपसी राजनीतिक रवैया ध्यान आकर्षित करने में अव्वल रहा है। वर्तमान में मुख्य रूप से चार और कुछ अन्य सहयोगी शिक्षकों के भरोसे चल रहा यह विद्यालय एक बार फिर से शिक्षकों के बीच गुटबाजी का फलाफल भुगतने को तैयार हैं। इसका सबसे अधिक गंभीर परिणाम विद्यालय खुलने के बाद यहां नामांकन के लिए आनेवाले 600 बच्चों के पठन-पाठन पर पड़ेगा। पूर्व प्रधानाध्यापक लक्ष्मी नायक के सेवानिवृत्त होने के बाद से प्रधानाध्यापक की कुर्सी को पाने की होड़ मची है। कुछ दिन इस पद के लिए सुधीर पांडेय और गुरुचरण प्रसाद के बीच जबरदस्त टकराहट रही। दोनों सेवानिवृत्त हो चुके हैं जिनमें कुर्सी पाने की होड़ एक बार फिर से सामने आ रही है। वर्तमान में नए प्रधानाध्यापक का पदभार विद्यालय के शासी निकाय ने प्यारी नायक को दे दिया है। एक बार फिर से लिए इस फैसले पर सवाल खड़े होने लगे हैं। हर कोई यही जानना चाह रहा है कि आखिर किस आधार पर विद्यालय प्रबंधन कमेटी ने इनका चयन किया है। विद्यालय के चार मुख्य शिक्षकों में प्यारी नायक, प्रसादी नायक, मुबारक अली और गोपाल शरण सिंह हैं। इन सभी में शिक्षा के आधार पर और विद्यालय में सेवा के आधार पर सबसे अधिक दिनों का अनुभव प्रसादी नायक का रहा है। इनका पूरा शिक्षण कार्य एमए और एमएड रहा है जबकि प्यारी नायक की शिक्षा सीपीईडी रही है। इस आधार पर देखा जाए तो प्रधानाध्यापक पद के योग्य दावेदार प्रसादी नायक ही होते हैं। इन्हें इस से वंचित कर दिया गया है। इससे हताश होकर प्रसादी बताते हैं कि वे विद्यालय के प्रधानाध्यापक पद के लिए सबसे योग्य हैं। यहां की विद्यालय कमेटी और अन्य लोगों के राजनीतिक एजेंडे का शिकार वे हो गए हैं। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें इस पद से वंचित करने को लेकर काफी साजिशें रची गई हैं। इधर 22 अगस्त को विद्यालय के नए शासी निकाय का चयन होना है। अलबत्ता विद्यालय का यह मामला अब राजनीतिक रूप भी ले चुका है। भाजपा के एक नेता ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखकर विद्यालय की वस्तुस्थिति तथा प्रधानाध्यापक पद के लिए योग्य या अयोग्य शिक्षक की व्याख्या भी की है।