यहां हर घर मे हैं बीमार, नहीं मिल रहा तिमारदार
पीरटांड़ जिले के उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र हमेशा से उपेक्षित रहा है। लोगों को इसकी कमी भी
पीरटांड़ : जिले के उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र हमेशा से उपेक्षित रहा है। लोगों को इसकी कमी भी खलती रही है, लेकिन क्षेत्र की उपेक्षा और तंत्र के उदासीन रवैया का खामियाजा उन्हें अभी सबसे अधिक भुगतना पड़ रहा है। अभी महामारी का दौर चल रहा है। पूर्वी पीरटांड़ में वायरल फीवर और अन्य बीमारियों ने भी एक साथ दस्तक दे दी है। पूरे पूर्वी पीरटांड़ में हर घर में लोग बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन उन्हें समुचित इलाज और अन्य सुविधाओं की बात तो दूर दवा तक नसीब नहीं हो पा रही है। मरीज घर में इलाज और दवा के बिना बिस्तर पर पड़े-पड़े कराह रहे हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
- पीरटांड की स्थिति बहुत खराब है। अगर प्रैक्टिशनर नहीं होते तो मौतों की गिनती नहीं हो पाती। हर घर में एक-दो लोग बीमार हैं। सरकार से मांग करते हैं कि पीरटांड़ जैसे उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में ध्यान दें। इस तरह मरनासन्न स्थिति में छोड़ देना अच्छी बात नहीं है।
संतोष कुमार साव, जमुआटांड़
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- कुड़को सहित पूरे क्षेत्र में वायरल फीवर से लोग दहशत में हैं। निजी दवा दुकानों में लंबी भीड़ लगी हुई है। सही समय पर लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। बगल गांव हरलाडीह में बड़ा अस्पताल केवल शोभा की वस्तु बनकर रह गया है। जो स्थिति है, उसके अनुसार जल्द स्वास्थ्य विभाग को शिविर का आयोजन कर स्थिति पर नियंत्रण करना चाहिए, अन्यथा स्थिति भयावह हो सकती है।
कमलेश रजक, कुड़को
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हमारे गांव हरलाडीह की बहुत ही नाजुक स्थिति बनी हुई है। प्राय: हर घर में वारयल फीवर का असर दिख रहा है। मैं प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से आग्रह करता हूं कि कोई ठोस कदम उठाया जाए और हमारी मदद की जाए। ऐसी स्थिति कभी नहीं आई थी। यह आपदा से कम नहीं है। कम से कम एक मेडिकल प्वाइंट खोलकर रखा जाए, ताकि बिना इलाज के कोई दवा ले सके।
दीपक कुमार दास, हरलाडीह
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- कोई शिकवा शिकायत छोड़कर अभी अपनी जान बचाने का समय है। जनप्रतिनिधियों से मांग करते हैं कि इस हालत में अगर आप साथ नहीं हैं तो कब होंगे। अभी लोगों की जान बचाएं। गांव-गांव में स्वास्थ्य कैंप का आयोजन करें और दवा का वितरण कराया जाए। क्षेत्र में वायरल फीवर, मलेरिया, टाईफायड, कोविड सभी तरह की बीमारियां आ चुकी हैं।
जालेश्वर मोहली, चिलगा
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- जो विकट स्थिति इस वर्ष है, ऐसी स्थिति कभी नहीं आई थी। जनता ऐसे संकट के लिए ही अच्छी सरकार चुनती है, लेकिन कोई फायदा नहीं। अभी हर घर में दो-चार लोग बीमार हैं। शहरों में अस्पताल में भी इलाज नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में लोगों पर क्या बीत रही है, वही जानते हैं, पर नेता लोग घर में अपनी जान बचाने में जुटे हुए हैं। गांव-गांव में मेडिकल कैंप लगाकर लोगों का इलाज किया जाना चाहिए।
पवन बरनवाल, खुखरा
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- मेरे इलाके में दर्जनों कोरोना मरीज होने के बाद भी यहां न कोई दवा का छिड़काव हुआ और न ही कोई इलाज की व्यवस्था। केवल बड़ा अस्पताल शोभा बढ़ा रहा है। नेतागण केवल चुनाव के समय नजर आते हैं। इतनी बड़ी महामारी में कोई देखनेवाला नहीं है। मांग है कि पंचायतों में मेडिकल शिविर लगाया जाए, ताकि गरीबों की जो रोजी-रोटी बची है, वह बची रहे।
कौशल किशोर, हरलाडीह
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पीरटांड़ में कई लोग बीमारी से परेशान हैं। कोई राज नेता पीरटांड़ में ध्यान नहीं दे रहा है। क्या पीरटांड़ के लोगों की याद सिर्फ चुनाव के समय में आती है। अभी जो समस्या चल रही है। इस विकट परिस्थिति में कोई पीरटांड़ पूर्वी क्षेत्र में मेडिकल संसाधन उपलब्ध कराने की व्यवस्था कराने की कोशिश कर सकते हैं तो हम ग्रामीण उसका जिदगी भर ऋणी बने रहेंगे।
नुरुल हसन, खरपोका
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- पीरटांड़ की हालात बेकाबू हो गया है। डॉक्टर की बात तो छोड़ ही दीजिए लोगों को दवा नहीं मिल पा रही है। अस्पतालों को बढियां करने के बजाय बड़ा-बड़ा अस्पताल भवन बन रहा है जो कोई काम नहीं दे रहा है। इस हालत में लोगों की जान खतरे में है, पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। विधायक-सांसद को इस क्षेत्र पर ध्यान देते हुए स्वास्थ्य शिविर आयोजन पर विचार करना चाहिए।
बिकू कुमार, चिरकी