समय पर होता इलाज तो बच सकती थी दोनों की जान
सड़क हादसे में गंभीर रूप से जख्मी युवकों को समय पर अगर 10
गिरिडीह: सड़क हादसे में गंभीर रूप से जख्मी युवकों को समय पर अगर 108 एंबुलेंस का चालक सदर अस्पताल इलाज के लिए ले आता तो दोनों की जान बच सकती थी। एंबुलेंस चालक उन्हें सदर अस्पताल लाने के बजाय उल्टा बिरनी सीएचसी ले गया लेकिन वहां पहुंचने के बाद अस्पताल में मौजूद चिकित्सक ने मानवता को ताक पर रखकर इलाज करने से इंकार करते हुए घायलों को सदर अस्पताल ले जाने की नसीहत दे दी।
एंबुलेंस चालक भी मरीज के परिजनों को तेल खत्म होने का हवाला देते हुए दूसरे वाहन से गिरिडीह ले जाने की बात कहने लगा। जख्मियों का प्राथमिक उपचार नहीं होने के कारण वे इलाज को छटपटा रहे थे तो वहीं एंबुलेंस चालक अन्यत्र जाने से इंकार कर रहा था। ऐसे में परिजनों ने अपने सामने युवाओं को तड़पते देख एंबुलेंस चालक से काफी आरजू मिन्नत की तो वह सदर अस्पताल लेकर चलने का तैयार हो गया लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी और जख्मियों के शरीर से काफी रक्तस्त्राव भी हो चुका था। बिरनी से तीनों को लेकर सदर अस्पताल पहुंचते ही मंटू व पंकज ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। मृतक पंकज के पिता सुखदेव मिस्त्री ने बताया कि एंबुलेंस चालक चादगर से जमुआ या गिरिडीह ले जाने के बजाय उल्टा बिरनी ले गया लेकिन वहां मौजूद चिकित्सक ने उनका इलाज नहीं किया। एंबुलेंस चालक वहां से सदर अस्पताल लाने से यह कहकर इंकार करने लगा कि वाहन में तेल नहीं है। काफी गिड़गिड़ाने पर वह तैयार हुआ और गिरिडीह लाया लेकिन तेल कहीं नहीं लिया। ऐसे में अगर घटना के बाद जख्मियों को सीधे सदर अस्पताल लाया जाता तो हो सकता है कि दोनों की जान बच जाती लेकिन ऐसा नहीं किया गया जिससे घटना के काफी देर तक इलाज नहीं होने से दोनों ने दम तोड़ दिया।
108 चालक पर कार्रवाई को डीसी से गुहार: घटना में मृत मंटू के चाचा महेश राणा ने 108 एंबुलेंस के चालक पर इलाज के लिए ले जाने में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए उपायुक्त को आवेदन देकर उचित कार्रवाई की मांग की है। आवेदन में कहा है कि मंटू, पंकज व विक्की रविवार की रात को एक बाइक से अपने घर आ रहे थे। इसी क्रम में वे सड़़क हादसे में गंभीर रूप से जख्मी हो गए। मौके पर धनवार पुलिस पहुंची और 108 एंबुलेंस को फोन कर बुलाने के बाद जख्मियों को गिरिडीह ले जाने को कहा लेकिन एंबुलेंस संख्या जेएच 01 सीई 1056 के चालक जान बूझकर जख्मियों को बिरनी ले जाने लगा। वाहन में सवार जख्मियों के परिजनों ने बिरनी की ओर ले जाने से मना किया तो उसने एक नहीं सुनी और उन्हें बिरनी सीएचसी ले गया। वहां से काफी देर के बाद गिरिडीह सदर अस्पताल लाया गया। वहां उस वक्त तीनों युवक जिदा थे लेकिन जब तक चिकित्सक इलाज करना शुरू करते उससे पहले ही मंटू व पंकज ने दम तोड़ दिया। ऐसे में अगर समय पर जख्मी युवकों को इलाज के लिए सीधे सदर अस्पताल लाया जाता तो उन दोनों मृतकों की जान बच सकती थी। मृतक के परिजनों ने उक्त एंबुलेंस चालक पर कार्रवाई करने की गुहार लगाई है।
- परिजनों का रो-रोकर हो रहा बुरा हाल: सड़क हादसे में मृत युवकों के शव पोस्टमार्टम होने के बाद गांव पहुंचते ही पूरा गांव में मातम पसर गया। परिजनों का रो रोकर बुरा हाल हो रहा था। मृतक पंकज की पत्नी अपना होशो हवास खोकर बेसुध दहाड़ मारकर रो रही थी। वहीं मंटू के घर वाले में बेटे के गम में आंसू बहा रहे थे। मंटू की शादी अब तक नहीं हुई थी और शादी की बात चीत चलने की बात लोग बता रहे थे, वहीं पंकज के तीन बच्चे हैं जिनमें एक बच्ची महज डेढ माह की है। घर में पसरे मातम व परिजनों की चीत्कार के आगे बच्चे कुछ भी समझ नहीं पा रहे थे और टुकुर-टुकुर सब का मुंह देख रहे थे।