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गिरिडीह की बेटी ने खेल के मैदान में लहराया परचम

गिरिडीह आमिर खान ने अपनी फिल्म दंगल में दिखाया था कि बेटियां किसी भी तरह बेटों से कम

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 07:59 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 07:59 PM (IST)
गिरिडीह की बेटी ने खेल के मैदान में लहराया परचम
गिरिडीह की बेटी ने खेल के मैदान में लहराया परचम

गिरिडीह : आमिर खान ने अपनी फिल्म दंगल में दिखाया था कि बेटियां किसी भी तरह बेटों से कम नहीं है। गिरिडीह की एक बेटी अंजली ने इस बात को एक बार फिर सही साबित किया है। एथलीट में वह राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड प्राप्त कर चुकी है।

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शहर से करीब आठ से दस किमी. दूर गिरिडीह-टुंडी मार्ग पर मोहनपुर गांव की इस बेटी ने बचपन में ही ठान लिया था कि उसे एथलीट बनना है। उसके व्यवसायी पिता ने जिला मुख्यालय में स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में उसका नाम लिखाया। इस विद्यालय में खेलकूद का भी अच्छा माहौल है। शुरूआती सालों में ही खेल के प्रति उसकी रूझान देखने को शिक्षकों को मिला। देखते ही देखते वह सौ मीटर एवं दो सौ मीटर की दौड़, बाधा दौड, रिले आदि में वह अपने विद्यालय में छा गई। सौ मीटर एवं दो सौ मीटर के दौड़ की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में वह कक्षा पांच से ही भाग लेने लगी। प्रांतीय स्तर पर गोल्ड जीतने के बाद उसने झारखंड एवं बिहार का राष्ट्रीय स्तर पर होनेवाले प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व किया। 28 वीं राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता जो 2015-16 में हुआ था उसमें रिले में वह दूसरे नंबर पर रही थी। 2018-19 में कटक में हुए राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में रिले में उसे गोल्ड मिला था। राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता 2019-20 में भी उसने परचम लहराया था। उसके शानदार खेल प्रदर्शन को देखते हुए विद्यालय प्रबंधन उसे स्कॉलरशिप देता था। बालिका दिवस की पूर्व संध्या पर उसे स्कूल में बुलाकर सम्मानित भी किया गया। इस मौके पर प्रधानाचार्य संजीव सिन्हा, वरीय शिक्षक राजेंद्र लाल बरनवाल एवं खेल शिक्षिका अनिता कुमारी भी मौजूद थीं।

डिफेंस में जाना चाहती है अंजली :

सरस्वती शिशु विद्या मंदिर से इस साल बारहवीं की पढ़ाई पूरी कर चुकी अंजली ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि वह स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद डिफेंस सेवा में जाना चाहती है। खेल के मैदान में मिली शानदार सफलता का श्रेय उसने अपने माता-पिता के अलावा शिक्षकों को दिया। गिरिडीह में स्टेडियम एवं कोच की कमी पर ध्यान दिलाया। बताया कि चार सौ मीटर दौड़ के लिए यहां एक भी स्टेडियम नहीं है।

सरकार यदि ध्यान दे तो गिरिडीह की बेटियां खेल में भी काफी नाम कमा सकती हैं।


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