मशहूर खेल फुटबॉल को भूल रहे गिरिडीह के खिलाड़ी
गिरिडीह लगभग तीन दशक पूर्व फुटबॉल के लिए एकीकृत बिहार प्रांत में मशहूर गिरिडीह अब
गिरिडीह : लगभग तीन दशक पूर्व फुटबॉल के लिए एकीकृत बिहार प्रांत में मशहूर गिरिडीह अब इस खेल में काफी पीछे है। अगर ऐसा ही हाल रहा तो विश्व में जो रैंकिग भारत की है वही स्थिति शायद देश में गिरिडीह की हो जाएगी। फीफा वर्ल्ड कप संपन्न होने और बरसात का मौसम होने के बावजूद यहां कहीं भी इसके खिलाड़ी नजर नहीं आ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1972 में गिरिडीह को जिले का दर्जा मिला था। इससे पूर्व यह हजारीबाग का अंग था। गिरिडीह ब्रिटिशकाल से ही फुटबॉल के लिए मशहूर रहा है। देश की आजादी के बाद तो यहां शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कई नामी गिरामी फुटबॉलर उभरे जिन्होंने अपने खेल से राज्य का नाम रोशन किया। 40 के दशक से 80 के दशक तक पूरे बिहार प्रांत में गिरिडीह के खिलाड़ियों का बोलबाला रहा था। इसके बाद फुटबॉल की लोकप्रियता यहां तेजी से कम होने लगी। साल दर साल इस खेल के प्रति युवकों की रूचि कम होने लगी। आज स्थिति यह है कि ढ़ूंढने से भी इसके खिलाड़ी नहीं मिल रहे हैं। विगत 20-25 वर्ष पूर्व बारिश का मौसम शुरू होते ही यहां शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के सभी मैदानों में लोग फुटबॉल खेलते नजर आते थे। वर्ल्ड कप के दौरान तो यहां आए दिन कई प्रकार के खेल व टूर्नामेंट का आयोजन होता था लेकिन अब स्थिति बिलकुल बदल चुकी है।
-गिरिडीह में फुटबॉल खेल के क्षेत्र में हो रही निष्क्रियता को देखते हुए मैंने इसे जिदा करने का मन बनाया और कई लोगों को अपने क्लब से जोड़ा। इसके बाद वर्ष 2011 से फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन करवाना शुरू किया। इसमें जिले के अलावा कई अन्य जिले के खिलाड़ियों ने भी भाग लिया। इसके बाद किसी ना किसी तरह से इसका आयोजन करवाता रहा। इस खेल की समाप्ति की ओर जाने का एक कारण कमेटी के पदाधिकारियों के इस ओर ध्यान नहीं देने के अलावा सरकार की ओर से भी किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिलना भी है। वैसे मैं यह भी मानता हूं कि आज के युवाओं में क्रिकेट के प्रति रूचि बढ़ गई है। आज हर मुहल्ले में क्रिकेट को लेकर क्लब बन गए हैं। इससे फुटबॉल के खेल को लोग भूलते जा रहे हैं जिससे यह खेल काफी पिछड़ रहा है। इसे बचाए रखने के लिए सरकार को जहां इस ओर सहयोगात्मक रवैया अपनाना होगा। दूसरी ओर इसे लेकर यहां एक मजबूत कमेटी का भी निर्माण कर सक्रिय लोगों को इससे जोड़ने की भी आवश्यकता है।
-नुरूल होदा, सचिव, प्रतिभा विकास क्लब, गिरिडीह।