बिरनी में फूड सेफ्टी एक्ट का नहीं हो रहा अनुपालन
सरकारी उदासीनता के कारण बिरनी में फूड सेफ्टी एक्ट का अनुपालन नहीं हो रहा है। इस वजह से आए दिन मिलावटी खाद्य पदार्थों की जांच कार्य ठप हुआ है। खाद्य सामग्री में होने वाले मिलावटी को रोकने के लिए सरकार ने यह योजना एक्ट शुरू किया है। साथ ही प्रखंड के सभी चिकित्सा प्रभारियों को फूड सेफ्टी एक्ट अधिनियम के तहत हर दुकानों से सामग्री का सैंपल लेने का प्रावधान किया गया था।
बिरनी (गिरिडीह) : सरकारी उदासीनता के कारण बिरनी में फूड सेफ्टी एक्ट का सही तरीके से अनुपालन नहीं हो पा रहा है। इस वजह से मिलावटी खाद्य पदार्थों की जांच का कार्य ठप है। खाद्य सामग्री में होनेवाली मिलावट को रोकने के लिए सरकार ने यह एक्ट लागू किया था। प्रखंड के सभी चिकित्सा प्रभारियों को फूड सेफ्टी एक्ट अधिनियम के तहत हर दुकानों से सामग्री का सैंपल लेने का प्रावधान किया गया था। प्रखंड के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को इसका निर्देश दिया गया है। उसके बावजूद भी इस प्रावधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस एक्ट को बने लगभग 10 साल होने को चले, उसके बाद भी इस प्रखंड में एक भी दुकान से खाद सामग्री का सैंपल नहीं लिया गया है। इससे आम लोगों को मिलावटी खाद सामान खाने से शरीर में हानिकारक व गंभीर बीमारी फैल रही है। आए दिन मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने से लोग गंभीर बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं।
लोगों में जागरूकता की कमी: फूड सेफ्टी एक्ट की जागरूकता की कमी से लोग मिलावटी खाद सामग्री खरीदने को मजबूर हैं। विभाग अगर सुदूर गांव में इसे लेकर लोगों को जागरूक करता तो ग्रामीण मिलावटी खाद्य सामग्री को खरीदने से बच सकते। क्या कहते लोग : ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी थोड़ा भी ध्यान देकर गांव में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करते तो लोग सजग होते और मिलावटी खाद्य पदार्थ नहीं खरीदते। अधिकारियों द्वारा हर बार दुकानों से खाद्य पदार्थ का सैंपल लेकर इसकी जांच की जाती तो आज इस मिलावटी सामान पर रोक जरूर लगती। विभाग द्वारा किसी तरह का कोई ठोस कदम नहीं उठाने के कारण आज मिलावटी सामग्री बेचनेवालों का मनोबल बढ़ा हुआ है।
- टूपलाल प्रसाद वर्मा, मुखिया।
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-प्रशासन इस ओर ध्यान देता तो मिलावटी खाद्य सामग्री खरीदने से लोग बच सकते थे। बाजारों में सब्जियों में रसायनिक घोल देकर व उसे हरा कर खुलेआम बेचा जा रहा है। उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है। दो वर्ष पूर्व बगोदर में मिलावटी ताज सरसों तेल बनाया जा रहा था। छापामारी की गई थी। विभाग के पदाधिकारी भी हर दुकान, होटल, चाय व पान दुकान, शराब दुकान से भी हर महीने सैंपल लेकर जांच करने को भेजते। रिपोर्ट आने के बाद वैसे लोगों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करते।
- रतन पांडेय, ग्रामीण।
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-गांवों में जागरूकता के लिए सीएस को लिखा जाएगा और टीम बनाकर दुकानों से खाद सामग्री का नमूना लेकर जांच के लिए भेजा जाएगा। टीम में बीडीओ व थाना प्रभारी रहेंगे। जांच रिपोर्ट गलत आने के बाद ही उनके विरोध कार्रवाई की जाएगी।
-डॉ. शेख मोहम्मद ताजुद्दीन, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बिरनी।