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मलेशिया में फंसे मजदूरों के परिजनों ने लगाई गुहार

बगोदर प्रखंड के अंतर्गत पोखरिया पंचायत के चितामणी महतोनिर्मल महतो और लाल किशुन महतो महतो मलेशिया में फंसे हैं।परिवार वालों के अनुसार पिछले 14 जुलाई 2020 से तीनों का मोबाइल बंद हैं।जिसकी के कारण तीनों से संपर्क नहीं हो पा रही हैं।उम्मीद जतायी जा रहीं हैं कि तीनो वीजा की अवधि खत्म होने के कारण मलेशिया के जेल में बंद हो सकते हैं।बताते चलें कि गिरिडीह जिले बगोदर प्रखंड के अंतर्गत पोखरिया पंचायत के तीनों प्रवासी मजदूर पिछले वर्ष रो•ाी रोटी की तलाश में मलेशिया गये थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 06:40 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 06:40 PM (IST)
मलेशिया में फंसे मजदूरों के परिजनों ने लगाई गुहार
मलेशिया में फंसे मजदूरों के परिजनों ने लगाई गुहार

बगोदर (गिरिडीह): बगोदर प्रखंड के अंतर्गत पोखरिया पंचायत के चितामणी महतो, निर्मल महतो और लाल किशुन महतो मलेशिया में फंसे हैं। परिवारवालों के अनुसार पिछले 14 जुलाई 2020 से तीनों का मोबाइल बंद है जिस कारण तीनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि तीनों वीजा की अवधि खत्म होने के कारण मलेशिया के जेल में बंद हो सकते हैं। बताते चलें कि गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड के अंतर्गत पोखरिया के तीनों प्रवासी मजदूर पिछले वर्ष रोजी रोटी की तलाश में मलेशिया गए थे जहां कार वाशिग का कार्य वे कर रहे थे लेकिन पिछले एक सप्ताह से तीनों का मोबाइल नंबर बंद है जिसकी वजह से परिवारवालों ने प्रवासी ग्रुप के माध्यम से सरकार से मदद की गुहार लगाई है। वहीं प्रवासी मजदूरों के हित में कार्य करनेवाले समाजसेवी सिकंदर अली ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है कि जब दलालों के चक्कर में पड़कर गरीब तबके के लोग विदेशों में फंस जाते हैं। पूर्व में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें दलाल मजदूरों को ज्यादा रुपये कमाने का लालच देकर मलेशिया समेत अन्य कई देश भेज देते हैं और वे विदेश जाकर फंस जाते हैं। आए दिन गिरिडीह, हजारीबाग व बोकारो जिले के आसपास के प्रखंडों के प्रवासी मजदूरों को सबसे अधिक मलेशिया में प्रताड़ित होना पड़ रहा है। साथ ही प्रवासी मजदूरों की ज्यादातर मौतें भी मलेशिया में ही होने का आंकड़ा है। ऐसे में सरकार को इस पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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