मौत के बाद भी शव को चढ़ाते रहे स्लाइन और ऑक्सीजन
oxygen supply. मौत के बाद भी शव को चढ़ाते रहे स्लाइन-ऑक्सीजन चढ़ाने का मामला सामने आया है।
गिरिडीह, जासं। सदर प्रखंड के चुंजका निवासी रघुनाथ तुरी की 25 वर्षीय पत्नी आरती देवी की मौत रविवार को मातृ शिशु कल्याण केंद्र चैताडीह में सामान्य रूप से प्रसव में एक बच्चे को जन्म देने के करीब आठ घंटे बाद हो गई। परिजनों ने मामले में चिकित्सक पर लापरवाही का आरोप लगाया है। बताया जाता है कि प्रसूता की मौत के बाद भी उसे स्लाइन एवं ऑक्सीजन चढ़ाया जाता रहा एवं उसके परिजनों को कहा जा रहा था कि महिला की तबीयत बिगड़ रही है। उसे ब्लड की आवश्यकता है। खून की व्यवस्था करें। करीब चार बजे जब अस्पताल में भीड़ जुटने लगी तो स्लाइन खोलने के साथ ही ऑक्सीजन को हटाया गया और पेपर बनाते हुए साढ़े तीन बजे मौत होने की बात लिख दी गई। मामले से आक्रोशित परिजन रविवार को रात तक शव को उठाने नहीं दे रहे थे।
उपायुक्त राजेश पाठक के निर्देश पर कार्यपालक दंडाधिकारी सुकेश्नी करकेट्टा शाम करीब साढ़े छह बजे पुलिस के साथ पहुंचकर परिजनों को समझा-बुझाने का प्रयास कर रही थीं, लेकिन परिजन दोषी चिकित्सक एवं कर्मियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर अड़े हुए थे। रात आठ बजे तक शव अस्पताल में ही पड़ा था।
प्रसव कराने के बाद लिए 1650 रुपये: रघुनाथ तुरी ने बताया कि वह अपनी पत्नी को मातृ शिशु कल्याण केंद्र में प्रसव कराने के लिए सुबह पांच बजे लाया था। यहां साढ़े आठ बजे उसकी पत्नी आरती ने एक बच्चे को जन्म दिया। प्रसव कराने के बाद स्थानीय सहिया के माध्यम से कर्मियों ने पैसे की मांग की। कहा गया कि जब तक पैसे नहीं दोगे, बच्चे को देखने नहीं देंगे। वह पांच सौ रुपये दे रहा था, लेकिन अस्पताल कर्मी नहीं माने। प्रसव के बाद प्रसूता को वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। साढ़े 12 बजे उसे बताया गया के महिला के शरीर में मात्र तीन ग्राम ही खून बचा है, इसलिए तुरंत ब्लड की व्यवस्था करें। इसी बीच प्रसूता की मौत हो गई। महिला के परिजनों का कहना है कि अगर खून की कमी थी तो सुबह में ही बताया जाना चाहिए था। जानबूझकर उसकी पत्नी को मार दिया गया। रघुनाथ के भाई लाल बाबू तुरी एवं विकास तुरी ने बताया कि चार बजे तक किसी ने नहीं बताया कि आरती की मौत हो गई है। ऑक्सीजन एवं स्लाइन चढ़ाया जाता रहा।
सुबह 11 बजे हुई थी बेहोश: डॉ. सर्जना शर्मा ने कहा कि उनकी ड्यूटी सुबह नौ के बाद थी। उनके पूर्व डॉ. इंद्रजीत की ड्यूटी थी, जिनके कार्यावधि में आरती का प्रसव हुआ। संबंधित कागजात पर उन्होंने काई रिस्क लिख दिया है। करीब 10 बजे जांच के बाद पता चला कि उसका बीपी काफी लो था। शरीर में खून भी नहीं बचा था। परिजनों की खून की व्यवस्था करने की बात कहकर वह एक अर्जेट केस में ऑपरेशन करने चली गई। जब लौटीं, तब तक आरती की स्थिति काफी गंभीर हो चुकी थी। उन्होंने कहा कि सुबह 11 बजे खाना खाने के क्रम में नस कहीं चौक कर गया होगा, उसके बाद वह बेहोश हो गई। फिर दोबारा वह उठ नहीं सकी।
सूचना के बाद भी समय पर नहीं पहुंचे डीएस: केंद्र की नोडल पदाधिकारी डॉ. रेखा कुमारी ने कहा कि प्रसूता की मौत खून की कमी के कारण हुई है। इसकी सूचना डॉ. सर्जना शर्मा की तरफ से गई बार मोबाइल पर दी गई, लेकिन डीएस समय पर वहां नहीं पहुंचे। उनके नहीं पहुंचने के कारण स्थिति बिगड़ती गई। थक-हारकर उन्होंने इसकी सूचना उपायुक्त एवं एसपी को दी। इसके बाद प्रशासन की ओर से कार्यपालक दंडाधिकारी को मौके पर भेजा गया है।
रात तक लोगों को समझाने में जुटा रहा प्रशासन: उपाधीक्षक डॉ. बीएन झा ने कहा कि वह स्वयं शाम करीब छह बजे मातृ शिशु कल्याण केंद्र जाकर स्थिति से अवगत हुए हैं। वहां प्रशासनिक पदाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी लोगों को समझाने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गर्भवती होने के बाद से ही उसके खानपान के साथ ही समय-समय पर जांच का ध्यान रखना चाहिए। जांच नहीं कराने के कारण इस तरह की घटना होती है।