नहीं मानी हार, बंजर भूमि पर लाई बहार
बगोदर आपदा में भी अवसर को तलाश कर सफलता हासिल करना बड़ी बात होती है। कोरोना संक्रम
बगोदर : आपदा में भी अवसर को तलाश कर सफलता हासिल करना बड़ी बात होती है। कोरोना संक्रमण के कारण गत वर्ष लगे लॉकडाउन में जब लोगों का रोजगार छीन गया, तो कइयों ने हार मानने के बजाय इसे चुनौती के रूप में लिया। इस आपदा को अवसर में बदलकर नया रोजगार ढूंढ लिया। बगोदर प्रखंड अंतर्गत बेको पूर्वी पंचायत के रहनेवाले बैजनाथ साव भी उन्हीं में से एक है। लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हो जाने पर उसने हार मानने के बजाय हिम्मत से काम लिया। बरसों से बंजर पड़ी जमीन पर पसीना बहाना शुरू कर दिया। जिस जमीन पर आज तक कभी हल नहीं चला था, उस पर उसने खेती कर मिसाल कायम की है।
तीन एकड़ जमीन में लहलहा रही फसल : बैजनाथ की मेहनत और लगन से आज बंजर जमीन पर फसल लहलहा रही है। बरसों से बंजर और बेकार पड़ी तीन एकड़ जमीन पर बैंगन और मिर्ची की फसल लगी हुई है। अपनी फसल को वह स्थानीय बाजार में बेचकर अच्छी आमदनी कर रहा है। उसने टमाटर का भी पौधा लगाया है।
दूसरे प्रदेश में चलाता था गाड़ी :
बैजनाथ दूसरे प्रदेश में रहकर चालक का काम कर परिवार का भरण-पोषण करता था। कोरोना काल में लॉकडाउन के समय घर लौटा तो उसके समक्ष रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गई थी। उसने बताया कि लॉकडाउन में खेती करने का मन बनाया और बाप-दादा की वर्षो से बंजर पड़ी बगोदर प्रखंड मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित असनबनी में टांडनुमा जमीन पर मेहनत कर बैंगन और मिर्ची की फसल लगाकर खेती करना शुरू किया। बैंगन और मिर्ची को स्थानीय बाजार में बेच रहा है। इससे अच्छी आमदनी हो रही है। इससे वह परिवार का अच्छी तरह से भरण-पोषण कर पा रहा है। सिचाई की सुविधा नहीं रहने के कारण बहुत दूर से पानी लाकर पटवन करते हैं। अगर सरकार से डीप बोरिग लिफ्ट एरीगेशन की सुविधा मिल जाती तो इससे और बेहतर खेती करते। इससे कई लोगों को रोजगार भी मिलता। अब खेती करके ही परिवार का भरण-पोषण कर लेंगे, लेकिन कमाने के लिए दूसरे प्रदेश में नहीं जाएंगे।