पेंशन के लिए आजादी के दिन धरना पर बैठे बुजुर्ग
15 अगस्त को पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस मना रहा था।
पेंशन के लिए आजादी के दिन धरना पर बैठे बुजुर्ग
संवाद सहयोगी, तिसरी (गिरिडीह) : 15 अगस्त को पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस मना रहा था। दूसरी ओर कई वृद्ध आदिवासी महिला-पुरुष पेंशन के लिए तिसरी स्थित गांधी स्मारक के सामने धरना पर बैठे थे। ये सभी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री व धनवार विधायक बाबूलाल मरांडी के पैतृक गांव कोदईबांक के थे। इसकी सूचना मिलते ही सीओ असीम बाडा और बेलवाना के मुखिया पति मो. फारूक धरनास्थल पहुंचे। सीओ के आश्वासन के बाद सभी बुजुर्ग घर लौट गए। स्वतंत्रता दिवस के दिन पेंशन के लिए बुजुर्गों के धरना पर बैठने को लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही है। लोगों का कहना है कि आखिर अत्यंत गरीबों व बुजुर्गों को पेंशन नहीं मिलने के लिए दोषी कौन है।
प्रखंड मुख्यालय व सभी सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में ध्वजारोहण किया जा रहा था। तभी प्रखंड मुख्यालय के सामने आधा दर्जन से अधिक लोग धरना पर बैठ गए। धरना पर बैठे नुनुआ मुर्मू ने कहा कि हाथ-पैर काम नहीं कर रहा है। पेंशन के लिए वर्षों से प्रयासरत हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। इसलिए धरना पर बैठ गए। रिधि मुर्मू और मायनो सहित धरना पर बैठे अन्य बुजुर्गों ने कहा कि पेंशन के लिए कई बार आवेदन दिया। मुख्यालय का चक्कर काट कर थक गए, लेकिन पेंशन चालू नहीं हुई। कुछ बुजुर्गों को पेंशन मिल रही थी, लेकिन उन्हें भी दो-तीन साल से पेंशन मिलना बंद है। मुखिया व पंचायत सेवक को शिकायत करने के बाद भी काम नहीं हुआ। बताया कि सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में भी आवेदन दिया गया था। पेंशन नहीं मिलने से बहुत दिक्कत हो रही है। विवश होकर धरना का रास्ता चुने हैं।
सीओ असीम बाडा ने कहा कि पेंशन सभी बुजुर्ग महिला-पुरुषों को दिलाई जाएगी। इसके लिए जरूरी कागजात बनवाने में भी प्रशासन सहयोग करेगा। सांसद प्रतिनिधि मनोज यादव ने कहा कि आजादी के 75वीं वर्षगांठ के दिन पेंशन के लिए बुजुर्गों का धरना पर बैठना पंचायत प्रतिनिधियों, स्थानीय प्रशासन और सरकार की विफलता को दर्शाता है। जिला प्रशासन शीघ्र ही प्रखंड के सभी गांवों व कस्बों में छूटे बुजुर्गों को पेंशन दे। सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के बाद भी बुजुर्गों का पेंशन के लिए धरना देना सरकार आपके द्वार कार्यक्रम को फ्लाप साबित करता है।