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जेल में मौत की हो उच्चस्तरीय जांच

गिरिडीह सेंट्रल जेल में बंदी की संदिग्ध स्थिति में हुई मौत के मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग बगोदर के पूर्व विधायक व माले नेता विनोद सिंह ने की है। उन्होंने कहा कि प्रशासन इसे गंभीरता से लेते हुए मजिस्ट्रेट की टीम बनाकर इसकी तत्काल जांच करानी चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Apr 2019 12:44 AM (IST)Updated: Mon, 08 Apr 2019 06:32 AM (IST)
जेल में मौत की हो उच्चस्तरीय जांच
जेल में मौत की हो उच्चस्तरीय जांच

जागरण संवाददाता, गिरिडीह : सेंट्रल जेल में बंदी की आत्महत्या मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग बगोदर के पूर्व विधायक व माले नेता विनोद सिंह ने की है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को इसे गंभीरता से लेते हुए मजिस्ट्रेट की टीम बनाकर इसकी तत्काल जांच करानी चाहिए। इसके बाद मामले की उच्चस्तरीय जांच भी होनी चाहिए। इसमें दोषी पाए जाने वाले दोषियों पर कार्रवाई हो। बगोदर क्षेत्र के जरमुने गांव का रहने वाला एक बंदी मनीष रजक की मौत की सूचना मिलने के बाद माले नेता विनोद सिंह अपने अन्य साथियों के साथ सदर अस्पताल पहुंचे और वहां मौजूद जेल के कर्मचारियों से मामले की जानकारी ली। कहा कि पोक्सो एक्ट के तहत युवक को पांच अप्रैल को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। ऐसे में उसे जेल में सुरक्षित रखने की जिम्मेवारी जेल प्रशासन की थी, लेकिन जेल के अंदर अगर बंदी की संदेहास्पद स्थिति में मौत हुई है तो यह जांच का विषय है।

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मनीष ने नौवीं कक्षा तक की थी पढ़ाई

जेल में आत्महत्या करने वाला मनीष रजक ने बगोदर के एक स्कूल से नौवीं कक्षा तक की पढ़ाई की थी। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण उसने पढ़ाई छोड़ दी और मेहनत मजदूरी करने लगा। उसके परिवार में दो बड़े भाई, एक बहन व मां है। दोनों भाई ऑटो चलाकर गुजर बसर कर रहे हैं। मेहनत मजदूरी के क्रम में ही बीए में पढ़ने वाली एक युवती से मनीष का प्रेम हो गया था। प्रेम में पड़कर ही दोनों घर से फरार हो गए थे, जिन्हें मध्य प्रदेश के बालाघाट से बरामद कर बगोदर पुलिस तीन अप्रैल को वापस लौटी थी। इसके बाद 5 अप्रैल को युवक को जेल भेजी थी।

----------------- मृत घोषित करने के बाद भी लगा रहा स्लाइन

सदर अस्पताल की कहानी भी निराली है। यहां चिकित्सक द्वारा मृत घोषित किए जाने के बाद भी मृतक के हाथों में स्लाइन लगा रहता है। जी हां यह बानगी रविवार को तब देखने को मिली जब जेल में एक बंदी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बंदी को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद स्लाइन लगा उस युवक का शव वार्ड के बेड पर करीब ढाई घंटे तक पड़ा रहा। पुलिस की कागजी प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जा रहा था तब जेल के कर्मचारी ने अस्पतालकर्मी को बुलाकर लाया और मृत युवक के हाथ में लगे स्लाइन के पाइप को खुलवाया। अस्पताल पहुंचे पूर्व विधायक विनोद सिंह ने भी मृतक के हाथों में स्लाइन लगा देख आश्चर्य जताया।

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